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भारत की जासूसी के मकसद से चीन ने स्‍पाई शिप को इंडोनेशिया के पास किया खड़ा, इंडियन नेवी रख रही नजर

भारत पर नजर रखने के लिए ड्रैगन हर पैंतरे आजमा रहा है। भारत की जासूसी करने के लिए चीन ने कुछ महीने पहले अपने एक जासूसी जहाज को श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर भेजा था। हालांकि भारत के कड़े विरोध के बीच ये जहाज जल्द ही वहां से चला गया था। अब चीन ने एक बार फिर से इसी श्रेणी का एक और जहाज इंडोनेशिया के आसपास खड़ा किया है। श्रीलंका की घटना के ठीक तीन महीने बाद एक और चीनी जासूसी जहाज हिंद महासागर में आया है, जिससे नई दिल्ली में चिंता बढ़ गई। रक्षा मंत्रालय के एक सूत्र के मुताबिक इंडोनेशिया के बाली तट से हिंद महासागर में घुसे चीनी जासूसी जहाज ‘युआन वांग-6’ की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। नई दिल्ली को इसमें कोई संदेह नहीं है कि चीनी जहाजों ने बंगाल की खाड़ी में भारत के मिसाइल कार्यक्रम की प्रगति को ट्रैक करने के लिए हिंद महासागर में प्रवेश किया है। रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘हम इसके बारे में पहले ही जान चुके हैं। चीनी जहाज की आवाजाही पर कई दिनों से नजर रखी जा रही है। 

भारत पर नजर रखने के लिए ड्रैगन हर पैंतरे आजमा रहा है। भारत की जासूसी करने के लिए चीन ने कुछ महीने पहले अपने एक जासूसी जहाज को श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर भेजा था। हालांकि भारत के कड़े विरोध के बीच ये जहाज जल्द ही वहां से चला गया था। अब चीन ने एक बार फिर से इसी श्रेणी का एक और जहाज इंडोनेशिया के आसपास खड़ा किया है। श्रीलंका की घटना के ठीक तीन महीने बाद एक और चीनी जासूसी जहाज हिंद महासागर में आया है, जिससे नई दिल्ली में चिंता बढ़ गई। रक्षा मंत्रालय के एक सूत्र के मुताबिक इंडोनेशिया के बाली तट से हिंद महासागर में घुसे चीनी जासूसी जहाज ‘युआन वांग-6’ की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। नई दिल्ली को इसमें कोई संदेह नहीं है कि चीनी जहाजों ने बंगाल की खाड़ी में भारत के मिसाइल कार्यक्रम की प्रगति को ट्रैक करने के लिए हिंद महासागर में प्रवेश किया है। रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘हम इसके बारे में पहले ही जान चुके हैं। चीनी जहाज की आवाजाही पर कई दिनों से नजर रखी जा रही है।  

मरीन ट्रैफिक की जानकारी के मुताबिक ये स्‍पाई शिप 21 अक्‍टूबर को झियांगयिन से चला है। इसके आगे की डेस्टिनेशन के बारे में कुछ नहीं बताया गया है। । मरीन ट्रैफिक से मिली जानकारी के मुताबिक ये एक रिसर्च वैसल है। इसका निर्माण 14 वर्ष पहले 2008 में किया गया था। ये करीब 222 मीटर लंबा और 25 मीटर चौड़ा है।  इसको खासतौर पर मिसाइल परीक्षणों की जानकारी और सैटेलाइट गतिविधियों की जानकारी हासिल करने के लिए ही डिजाइन किया गया है। 

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