चीन ने अब वो कर दिखाया है, जिसकी आशंका अमेरिका सालों से करता आ रहा था। चीन ने रेयर अर्थ एलिमेंट के अमेरिका को होने वाले निर्यात पर अनिश्चितकालीन प्रतिबंध लगा दिया है। इसका सबसे बड़ा असर अमेरिका के सबसे आधुनिक और सबसे ताकतवर फाइटर जेट एफ-35 पर पड़ेगा। दरअसल, अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से ट्रेड वॉर चल रहा है। अमेरिका ने चीनी सामानों पर टैरिफ लगाए तो चीन भी कभी पीछे नहीं हटा। लेकिन इस बार चीन ने ऐसा कदम उठाया है जिसे अमेरिका की सप्लाई चेन पर सीधा हमला कहा जा सकता है। चीन ने रेयर अर्थ एलीमेंट मैगनेट, धातुपूर्व मेटल्स के अमेरिका को निर्यात पर अनिश्चितकालीन रोक लगा दी है। यानी अमेरिका अब इसकी सप्लाई के लिए तरसेगा। चीन ने कहा है कि अगर कोई इन रेयर अर्थ एलीमेंट को एक्सपोर्ट करना चाहे तो उसे एक्सपोर्ट लाइसेंस लेना होगा। लेकिन दिलचस्प बात ये है कि चीन ने अभी तक ऐसा कोई लाइसेंस सिस्टम बनाया ही नहीं है। यानी साफ है कि बैन का मतलब बैन ही है।
इसे भी पढ़ें: मुर्शिदाबाद दंगा, SSC स्कैम, TMC की अंदरूनी लड़ाई, कैसे ममता बंगाल से अपना कंट्रोल खोती चली जा रही हैं?
चीन ने मंगलवार को अपनी एयरलाइनों को बोइंग कंपनी से कोई भी डिलीवरी न करने का निर्देश दिया है। इससे पहले, बीजिंग ने सप्ताहांत में डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा चीनी आयात पर 145% शुल्क लगाए जाने के जवाब में सभी अमेरिकी उत्पादों पर 125% का भारी जवाबी शुल्क लगाया था, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध बढ़ गया था। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, बीजिंग ने अमेरिकी कंपनियों से विमान मशीनरी और उपकरणों से संबंधित किसी भी खरीद को तत्काल रोकने का आदेश दिया है।
इसे भी पढ़ें: Prabhasakshi NewsRoom: Myanmar में GPS Snoofing के जरिये IAF के विमानों को भटकाने का हुआ प्रयास, मगर जांबाज पायलटों ने कमाल कर दिया
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि चीनी सरकार उन घरेलू एयरलाइनों को प्रोत्साहन देना चाहती है जो उच्च टैरिफ के कारण बढ़ती लागत की भरपाई के लिए बोइंग विमान किराए पर ले रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यापार युद्ध के बीच बोइंग के पुर्जे और विमान चीन को लगभग दोगुने दाम में मिलेंगे। दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच चल रहे व्यापार युद्ध में अमेरिकी विमान दिग्गज बोइंग भी फंस गई है। व्यापार युद्ध के खत्म होने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं, लेकिन लगता है कि इसने बोइंग के सबसे बड़े बाजार चीन को प्रभावित किया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, अगले 20 सालों में वैश्विक विमान मांग का 20 प्रतिशत चीन से आएगा।