तीन साल से अधिक समय पहले कोविड महामारी की शुरुआत के बाद से इस बात पर बहस होती रही है कि क्या वायरस प्रयोगशाला में रिसाव के कारण उभरा है या ये प्रकृति से आया है। जिन शोधकर्ताओं ने इन वर्षों में उत्तर खोजने का प्रयास किया है, वे चीन के पारदर्शिता की कमी को उजागर भी करते रहे हैं, जिस देश से वायरस पहली बार सामने आया था। हालांकिद संडे टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया कि चीनी वैज्ञानिक खतरनाक प्रयोगों की एक गुप्त परियोजना चला रहे थे, जिसके कारण वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से रिसाव हुआ और कोविड का प्रकोप शुरू हुआ।
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ब्रिटिश मीडिया की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस को चीन की वुहान लैब में ही बनाया गया। इसे चीन की सेना के लिए बनाया जा रहा था। संडे टाइम्स की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। इसके मुताबिक, वुहान लैब कि वैज्ञानिक वहां की सेना के साथ मिलकर दुनिया के सबसे घातक कोरोना वायरसों को मिलाकर नया म्यूटेंट वायरस बना रहे थे। इसी दौरान कोरोना महामारी की शुरुआत हुई। यह वायरस वुहान इंस्टिट्यूट इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से लीक हुआ और कोविड महामारी फैलने लगी।
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यह रिपोर्ट सैकड़ों दस्तावेजों पर आधारित है। इसमें पहले की गोपनीय रिपोर्ट, अंदरूनी आदेश, रिसर्च पेपर और ईमेल शामिल हैं। एक जांचकर्ता ने कहा कि यह और साफ हो गया कि कोरोना वायरस को बनाने, म्यूटेशन और इस महामारी को गुप्त रखने में वुहान के इंस्टिट्यूट का हाथ था। चीन जैविक हथियार बना रहा था। एक जांचकर्ता की मानें तो वैज्ञानिक एक ऐसे वायरस को तैयार करने में लगे थे जिसे जैविक हथियार की तरह प्रयोग किया जा सके।