बयानबाजी का दौर और तनातनी के बीच अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की चीन की यात्रा पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी थी। चीन और अमेरिका के मिलन की तस्वीरें ये बयान कर रहे थे कि अब दोनों में पक्की वाली दोस्ती हो गयी है। लेकिन क्या सच में ऐसा ही है? बातों से नहीं लगा और बयानों से भी नहीं लगा। चीन और अमेरिका एक टेबल पर आमने सामने थे। दोनों देश के विदेश मंत्री अपने अपने मुद्दों को एक दूसरे के सामने रख रहे थे। बात आगे बढ़ रही थी कि तभी चीन के विदेश मंत्री ने वो बात कह दी जिसे सुनकर अमेरिकी विदेश मंत्री और पूरे अमेरिका को हैरानी हो रही है।
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जिस अमेरिका को चीन ने न्योता दिया। जिस अमेरिका को चीन ने यह कहकर बुलाया कि वो आपस में बैठकर अपने बीच की मुश्किलों को हल करना चाहता है। वही चीन अमेरिका को सामने बिठाकर उसकी गलतियां गिनवाने लगा। ये अमेरिकी विदेश मंत्री की बेइज्जती ही थी। लेकिन फिर भी उन्होंने सबकुछ सुना। चीनी विदेश मंत्री ने अमेरिका को रियलिटी चेक देने की कोशिश की। अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हमने बातचीत और सहयोग को बढ़ाया है। इसका दोनों देशों के लोग और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने स्वागत किया है। लेकिन साथ ही रिश्ते में नकारात्मक कारक आज भी बढ़ रहे हैं। यहीं से चीनी विदेश मंत्री का बयान पूरी तरह से पलट गया।
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चीनी विदेश मंत्री ने इसके बाद अमेरिका और चीन के बीच की तल्खी और दबाव का जिक्र हुआ। सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, शी ने शुक्रवार को शीर्ष अमेरिकी राजनयिक से कहा कि दोनों महाशक्तियों को “प्रतिद्वंद्वी के बजाय भागीदार बनना चाहिए” और एक-दूसरे को चोट पहुंचाने के बजाय एक-दूसरे को सफल होने में मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मैंने आपसी सम्मान, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और सहयोग को तीन सर्वव्यापी सिद्धांत बनाने का प्रस्ताव दिया। ये अतीत से सीखे गए सबक हैं और भविष्य के लिए मार्गदर्शक हैं।