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अंटार्कटिका में पांचवां रिसर्च बेस बना रहा चीन, खौफ में पश्चिमी देश, जासूसी का है खतरा

चीन अंटार्कटिका में अपना पांचवा रिसर्च बेस बना रहा है। सैटेलाइट तस्वीरों से इस बात का खुलासा हुआ है। चीन की तरफ से बड़े स्तर पर निर्माण कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआईएस) की एक रिपोर्ट के अनुसार, निर्माण में कई वर्षों की सुस्ती के बाद चीन अंटार्कटिका में देश का पांचवा रिसर्च बेस का निर्माण कर रहा है। वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक ने जारी एक रिपोर्ट में कहा कि 2018 में निर्माण शुरू होने के बाद कई वर्षों की निष्क्रियता के बाद साइट पर काम में तेजी नजर आ रही है। ये निष्कर्ष मैक्सर द्वारा हाल के महीनों में कैप्टर की गई उपग्रह इमेजरी पर आधारित थे।

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पश्चिमी देशों को डर है कि बीजिंग आर्कटिक के लिए नए शिपिंग मार्ग विकसित करने का ढोंग कर रहा है। वहीं वो अपनी जासूसी क्षमताओं को बढ़ाने की कोशिश में लगा है। सीएसआईएस के मुताबिक देश के खुफिया संग्रह को बढ़ाने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। वैसे महाद्वीप में अपनी उपस्थिति और अनुसंधान गतिविधियों को मजबूत करने में चीन अकेला नहीं है, जहां संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और दक्षिण कोरिया सहित कई देश अनुसंधान केंद्र संचालित हैं। लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बढ़ती शक्ति प्रतिस्पर्धा और बीजिंग की मुखर विदेश नीति और निगरानी क्षमताओं के बारे में पश्चिमी चिंताओं के बीच चीन की सुविधाओं के संभावित दोहरे उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया है। 

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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने करीब एक दशक पहले पहली बार दक्षिणी गोलार्ध को ‘समझने, संरक्षित करने और इस्तेमाल करने’ की अपनी योजनाओं का खुलासा किया था। तब से यह चीन के ध्रुवीय निर्माणों का स्लोगन बन गया क्योंकि चीन अपने चार मौजूदा रिसर्च बेस पर लगातार विस्तार कर रहा है।

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