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Ukraine संघर्ष के किसी पक्ष को हथियारों का निर्यात नहीं करेंगे: China

चीन के विदेश मंत्री छिन कांग ने शुक्रवार को कहा कि उनका देश यूक्रेन संघर्ष में शामिल किसी भी पक्ष को हथियार नहीं बेचेगा।
अमेरिका और अन्य देशों ने इस बात को लेकर चिंता जताई है कि चीन रूस को सैन्य सहायता मुहैया कराने पर विचार कर रहा है। कांग ने इन्हीं चिंताओं के मद्देनजर यह बात की।
चीन औपचारिक रूप से कहता रहा है कि वह यूक्रेन संघर्ष को लेकर तटस्थ है, लेकिन उसने राजनीतिक रूप से रूस का समर्थन किया है।
कांग ने संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए बातचीत को संभव बनाने में मदद करने की इच्छा दोहराई और कहा कि सभी पक्षों को ‘‘वस्तुनिष्ठ और शांत’’ रहना चाहिए।

चीन आईं जर्मनी की विदेश मंत्री अन्नालेना बेयरबॉक के साथ संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि चीन असैन्य एवं सैन्य उपयोग वाली वस्तुओं के निर्यात को नियंत्रित करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘सैन्य वस्तुओं के निर्यात को लेकर चीन विवेकपूर्ण और जिम्मेदार रवैया अपनाता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘चीन यूक्रेन संघर्ष में शामिल किसी भी पक्ष को हथियार उपलब्ध नहीं करायेगा और कानूनों तथा नियमों के अनुसार दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं के निर्यात का प्रबंधन और नियंत्रण करेगा।’’

मंत्री ने संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान खोजने में मदद करने की चीन की इच्छा को भी दोहराया।
कांग ने क्षेत्रीय तनाव बढ़ाने के लिए ताइवान सरकार को जिम्मेदार बताया।
बीजिंग ताइवान पर अपना दावा करता है और उसने इस द्वीप को डराने की कोशिश के तहत वृहद स्तर पर सैन्य अभ्यास किए हैं।
इस बीच, बेयरबॉक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक स्थायी सदस्य के रूप में चीन की संघर्ष समाप्त करने में मदद करने की विशेष जिम्मेदारी है।
उन्होंने ताइवान जलडमरूमध्य में तनाव का भी उल्लेख किया और कहा कि इस क्षेत्र में संघर्ष एक वैश्विक आपदा बन जाएगा।
चीनी विदेश मंत्री ने बेयरबॉक की इन चिंताओं को स्पष्ट रूप से खारिज करते हुए कहा कि ताइवान ‘‘चीन का आंतरिक मामला है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ताइवान की स्वतंत्रता एवं शांति साथ-साथ नहीं हो सकती।’’
गौरतलब है कि फरवरी में, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि अमेरिका के पास खुफिया जानकारी है कि चीन रूस को हथियार और गोला-बारूद उपलब्ध कराने पर विचार कर रहा है – और चेतावनी दी थी कि क्रेमलिन के युद्ध के प्रयास में इस तरह की भागीदारी एक ‘‘गंभीर समस्या’’ होगी।
यूरोपीय नेताओं ने भी हाल में इसी तरह की चेतावनी जारी की थी।

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