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China Nepal Trap: सफेद हाथी बने चीनी विमान, हर साल हो रहा 60 करोड़ का नुकसान, रियायती कर्ज में फंसा नेपाल अमेरिका को बेचने की फिराक में लगा

इन दिनों साइबर फ्रॉड में 2 हजार के बदले 70 हजार गंवाने वाले चाइनिज लिंक से जुड़े एप के मकड़जाल और उसके जानलेवा चक्रव्यूह से जुड़ी खबरें तो आप आए दिन अखबारों में पढ़ते होंगे। लेकिन चीन के एक कर्ज जाल ने भारत के पड़ोसी देश नेपाल को ऐसा फंसाया कि वो पिछले नौ बरस से इससे बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है, लेकिन फिर भी सफल नहीं हो पाया है। आलम ये है कि चीन को इसकी वजह से हर साल 60 करोड़ नेपाली रुपये का नुकसान हो रहा है। भारत के पड़ोसी देश नेपाल को ये उम्मीद थी कि इन्हें संचालित करके वो संकटों से गुजर रही नेपाल एयरलाइंस कॉर्पोरेशन के लिए रेवेन्यू कमा सकता है। लेकिन दो साल से अधिक वक्त बीत चुका है और चीन के लग्जरी विमान नेपाल के आसमान की बजाए जमीन पर ही खड़े हैं और जंग खा रहे हैं। 

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चीन से लिए विमानों के कारण उसे यह नुकसान हो रहा है। अब नेपाल इन विमानों को बेच रहा है। एक अमेरिकी कंपनी ने सोमवार से इन विमानों की कीमत आंकने का काम शुरू कर दिया है, वह महीनेभर में रिपोर्ट देगी। उसके बाद विमान वचन की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। नेपाल ने 2012 में चीन से विमान खरीदने का समझौता किया था। इनमें 56 सीटों वाले दो एमए60 विमान और 17 सीटों वाले चार वाई12ई विमान थे। 

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चीन के जाल में कैसे फंसा नेपाल
इस डील को आसान बनाने के लिए चीन ने नेपाल को करीब 6.67 अरब रुपए का लोन दिया। कुछ राशि में से 2.94 अरब रुपए से एक एमए60 और एक वाई12ई विमान का भुगतान किया गया था। अन्य विमान 3.72 अरब रुपए से खरीदे गए। चीन की एग्जिम बैंक ने इसके लिए लोन मुहैया कराया था। डील के अनुसार नेपाल सरकार को 1.5 प्रतिशत की दर से वार्षिक ब्याज और वित्त मंत्रालय की ओर से लिए गए कुल लोन का 0.4 फीसदी सर्विस चार्ज और मेंटेनेंस खर्च का भुगतान करना पड़ता है। 
 

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