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कोलंबो का ‘एलफिंस्टन’ थिएटर श्रीलंका और भारत के बीच ‘सिनेमाई सेतु’

श्रीलंका की राजधानी कोलंबो के ऐतिहासिक मरादाना इलाके में स्थित एलफिंस्टन थिएटर अपनी सौंवीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है जो राजधानी की एक बेमिसाल सांस्कृतिक पहचान होने के साथ ही सिनेमा के माध्यम से भारत के साथ अपने संबंधों का प्रतीक भी है।
इस थियेटर का निर्माण करीब एक सदी पहले एक भारतीय कारोबारी ने कराया था।
पारसी कारोबारी जमशेद फ्रेमजी मदन द्वारा कलकत्ता में स्थापित प्रतिष्ठित मदन थिएटर्स लिमिटिड ने 20वीं सदी में इस इमारत का निर्माण कराया था। मदन को भारतीय सिनेमा की नींव रखने वाली हस्तियों में से एक माना जाता है।
मदन ने कलकत्ता (अब कोलकाता) में भारत में पहले स्थायी सिनेमा घर ‘एलफिंस्टन पिक्चर पैलेस’ का निर्माण कराया था। वह फिल्म निर्माण, प्रदर्शन और वितरण के कारोबार में भी शामिल थे जिसकी शाखाएं रंगून (म्यांमा) से लेकर कोलंबो तक थी।
इन सिनेमा घरों का नाम ‘‘एलफिंस्टन पिक्चर पैलेस’था और ये समूचे भारत में फैले हुए थे जिसमें पटना से लेकर दिल्ली तक शामिल है।

इसने ब्रिटिश काल के सिलोन (अब श्रीलंका) की राजधानी में स्थित इस सिनेमा घर का नाम भी यही रखा।
इस सिनेमा घर के पूर्व प्रबंधक चमीरा सुसिथा फर्नांडीस ने पीटीआई-को यहां बताया , “ एलफिंस्टन थिएटर को बनाने का मकसद फिल्मों का प्रदर्शन करना था। तब मूक फिल्मों को दिखाया गया और बाद में ‘टॉकीज़’ (बोलती फिल्मों) का भी प्रदर्शन किया गया। यह कोलंबो का गौरव है औरयह आज भी शहर की खास पहचान के तौर पर खड़ा है और ऐतिहासिक टॉवर हाल और मरादाना रेलवे स्टेशन से ज्यादा दूर नहीं है। ”
उन्होंने कहा, “ इसमें अंग्रेजी, सिन्हाला, हिंदी और तमिल फिल्में दिखाई जाती थीं और लोग ‘एलफिंस्टन’ में फिल्म देखने के लिए लंबी लंबी कतारों में लगे रहते थे।
फर्नांडीस ने कहा कि पिछले 15 साल से इसे मंचीय कला थिएटर में तब्दील कर दिया गया है और तब से इसमें फिल्मों का प्रदर्शन नहीं किया जा रहा है।

2019 से जून 2023 तक इसके प्रबंधक रहे फर्नांडीस ने यह भी बताया कि ‘एलफिंस्टन’ का प्रंबधन अब श्रीलंकाई सरकार के टावर हॉल थिएटर फाउंडेशन के हाथ में है।
उनसे 98 साल पुराने थिएटर के भारतीय संबंध के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “ मुझे पता है कि इसका मूल रूप से स्वामित्व मदन थिएटर्स के पास था। हमने अधिक विवरण प्राप्त करने के लिए अभिलेखों को देखने का प्रयास किया लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ।”
‘एलफिंस्टन’के पूर्व प्रंबधक ने कहा कि वह इस सिनेमा घर को भारत और श्रीलंका के बीच “ सिनेमाई सेतु’ मानते हैं।
कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक, ‘फिल्म मुगल’ होने के बावजूद मदन को अपने ही देश में भूला दिया गया है। मदन थिएटर्स रिसर्च ग्रुप की वेबसाइट के मुताबितक, जमशेदजी फ्रेमजी मदन या जेएफ मदन का जन्म 1856 में (अब के गुजरात) के नवसारी में हुआ था और उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मंच पर पर्दा उठाने और गिराने का काम करने से की थी और इसके बाद बंबई (अब मुंबई) में एलफिंस्टन ड्रामेटिक क्लब’ के हिस्से के तौर पर पारसी थिएटर में कुछ वक्त तक अभिनय भी किया।

इस पोर्टल की स्थापना उनके परिवार के कुछ सदस्यों ने की थी। साल 1885 में उन्होंने अपना वाइन का कारोबार शुरू किया और ‘जेएफ मदन एंड कंपनी’ के बैनर तले रोजमर्रा की जरूरतों के सामान की आपूर्ति की जिसका मुख्यालय कलकत्ता में था।
उसमें कहा गया है कि 1902 में उन्होंने एलफिंस्टन बायोस्कोप कंपनी की स्थापना की जो तंबू में फिल्म दिखाती थी। ‘मूवी मुगल’ मदन का कारोबार कलकत्ता से कोलंबो तक फैला था। मदन थियेटर रिसर्च ग्रुप के अनुसार,‘‘ जब उनका सितारा बुलंदी पर था, तो भारत में बॉक्स आफिस की आधी कमाई पर मदन थियेटर्स का कब्जा था और कहा जाता है कि 127 थियेटरों पर उनका मालिकाना हक या नियंत्रण था।’’
मदन का 1923 में 67 साल की उम्र में कलकत्ता में निधन हो गया और उनके बेटे जे जे मदन ने तब परिवार के कारोबार की बागडोर अपने हाथ में ली। मदन थिएटर ने 1937 में अपनी आखिरी फिल्म का निर्माण किया था।

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