ईरान में विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। हिजाब को लेकर प्रदर्शन काफी लंबे समय से चल रहा है। हालांकि, सरकार की ओर से भी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सख्त कदम लगातार उठाए जा रहे हैं। महसा अमिनी की मौत के बाद ईरान में प्रदर्शन और बड़ा हो चुका है। लेकिन लगातार सरकार की ओर से आंदोलन को खत्म करने की कोशिश भी हो रही है। इन सबके बीच ईरान की एक अदालत ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले तीन और प्रदर्शनकारियों को मौत की सजा सुना दी है। तीनों ही प्रदर्शनकारियों पर ईश्वर के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आरोप है।
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हालांकि, प्रदर्शनकारियों पर इस तरह की भयंकर कार्रवाई को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईरान की आलोचना भी हो रही है। इससे पहले शनिवार को ही ईरान ने 16 सितंबर को 22 वर्षीय कुर्द ईरानी महिला महसा अमिनी की मौत के बाद राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों के एक सदस्य की कथित रूप से हत्या करने के लिए दो लोगों को फांसी दी। ईरान के इस कदम की हर तरफ आलोचना हुई थी। यूरोपीय संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने कड़े शब्दों में इसकी निंदा की थी।
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बताया जा रहा है कि सालेह मिरहाशमी, माजिद काजेमी और सईद याघौबी को सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान स्वयंसेवक बासिज मिलिशिया के सदस्यों की कथित रूप से हत्या करने का दोषी ठहराया गया था। हालांकि, वे अपने फैसले के खिलाफ अपील कर सकते थे। 3 प्रदर्शनकारियों को मौत की सजा सुनाए जाने पर पोप ने भी ईरान के इस फैसले का विरोध किया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि प्रदर्शनकारियों को मिल रही मौत की सजा से जीने का अधिकार खतरे में पड़ गया है। महिलाओं के सम्मान के लिए प्रदर्शन हो रहे हैं।