लंदन के वेस्टमिंस्टर एबे में शनिवार को एक भव्य समारोह को बहु-धार्मिक स्वरूप देते हुए पारंपरिक रस्म के साथ चार्ल्स तृतीय का ब्रिटेन के 40वें महाराजा के रूप में आधिकारिक राज्याभिषेक किया गया।
उनकी मां, महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की 70 वर्ष पहले की गई यादगार ताजपोशी की तरह यह समारोह भी आयोजित किया गया।
‘प्रभु महाराजा की रक्षा करे’ के उद्घोष और गिरजाघर के घंटे की ध्वनि के बीच चार्ल्स तृतीय (74) को 360 साल पुराना सेंट एडवर्ड का रत्न जड़ित औपचारिक रूप से पहनाया गया।
इसके बाद चार्ल्स और उनकी पत्नी, महारानी कैमिला (75) ने लंदन में बकिंघम पैलेस की बालकनी में खड़े होकर सैकड़ों लोगों का अभिवादन किया, जो उनकी एक झलक पाने के लिए बारिश की परवाह नहीं करते हुए घंटों से वहां एकत्र थे। चार्ल्स और कैमिला के साथ प्रिंस एंड प्रिंसेज वेल्स, विलियम और केट तथा शाही परिवार के कुछ अन्य सदस्य भी थे।
मौसम खराब रहने के कारण ‘रॉयल एयर फोर्स’ का फ्लाईपास्ट संक्षिप्त कर दिया गया। समारोह का समापन सेना के बैंड द्वारा ब्रिटेन के राष्ट्रगान की धुन बजाने के साथ हुआ।
इससे पहले, दो घंटे तक चली करीब हजार वर्ष पुरानी धार्मिक रस्म की शुरूआत चार्ल्स तृतीय द्वारा कैंटरबरी के आर्चबिशप के समक्ष पद की शपथ लेने के साथ शुरू हुई, जिसमें ब्रिटेन के प्रथम हिंदू प्रधानमंत्री ऋषि सुनक द्वारा एक धार्मिक ग्रंथ पढ़ा जाना भी शामिल है।
धार्मिक समारोह में चार्ल्स और उनकी पत्नी कैमिला द्वारा पद की साथ-साथ शपथ लेने के लिए ईश्वर को साक्षी मानते हुए सांकेतिक रूप से फिर से विवाह करना भी शामिल है।
चार्ल्स की ताजपोशी के दौरान उपयोग में लाये गये राज सिंहासन को महाराजा जॉर्ज षष्ठम और महारानी एलिजाबेथ के राज्याभिषेक के लिए मई 1937 में निर्मित किया गया था। शनिवार की तरह ही, महारानी एलिजाबेथ के राज्याभिषेक के दिन भी यहां बारिश का मौसम था।
वेस्टमिंस्टर एबे 1066 में विलियम प्रथम के समय से प्रत्येक ब्रिटिश राज्याभिषेक का गवाह रहा है। चार्ल्स तृतीय और उनकी पत्नी कैमिला ने इसी परंपरा का अनुसरण किया है।
हिंदू, सिख, मुस्लिम, बौद्ध और यहूदी समुदायों के प्रतिनिधियों ने चार्ल्स की ताजपोशी से पहले एबे में एक जुलूस निकाला तथा समारोह के दौरान ब्रिटिश संसद के उच्च सदन हाउस ऑफ लॉर्ड्स के भारतीय मूल के सदस्यों ने चार्ल्स को पारंपरिक लिबास आदि वस्तुएं सौंपी।
ब्रिटिश सिख एवं ब्रिटेन की संसद के सदस्य लॉर्ड इंदरजीत सिंह ने राज्याभिषेक के दौरान चार्ल्स तृतीय को एक दस्ताना सौंपा। यह मूल रूप से एक ईसाई समारेाह में विभिन्न धर्मों को महत्व दिये जाने को प्रदर्शित करता है।
सिंह ने ऐतिहासिक समारोह से पहले एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘मेरे लिए यह काफी सम्मान की बात है, लेकिन इससे भी कहीं अधिक इस देश में और भारत में सिख समुदाय के लिए गौरव की बात है। यह महाराजा की समावेशिता की दृष्टि को मान्यता देता है।’’
वहीं, समारोह में मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहे भारतीय-गुयाना मूल के लॉर्ड सैयद कमाल ने ‘ब्रेसलेट’ सौंपा। हिंदू समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहे लॉड नरेंद्र बाबूभाई पटेल ने अंगूठी सौंपी और यहूदी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले बैरोनेस गिलान मेरन ने महाराजा के को शाही लिबास सौंपा।
राज्याभिषेक के बाद, चार्ल्स और कैमिला शाही बग्घी ‘डायमंड जुबली स्टेट कोच’ में सवार होकर वेस्टमिंस्टर पैलेस से एबे पहुंचे। उनके साथ सैन्य कर्मी भी थे।
मध्य लंदन की सड़कों के दोनों ओर काफी संख्या में उनके शुभचिंतक झंडे लहरा रहे थे। वहीं, प्रदर्शनकारियों के कुछ समूह ने राजशाही खत्म करने के लिए ट्राफलगर स्क्वायर पर प्रदर्शन किये। कुछ प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किये जाने की भी खबरें हैं।
एबे पहुंचने पर चार्ल्स का अभिवादन किया गया, जिनमें कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष और समुदायों के प्रतिनिधि भी शामिल थे। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और उनकी पत्नी डॉ सुदेश धनखड़ ने इस ऐतिहासिक अवसर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया। वे दोनों यहां अन्य राष्ट्रमंडल देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ बैठे थे।
शाही महल ने कहा, ‘‘ताज पहनाने की परंपरा पुरानी है, जो धार्मिक महत्व रखती है।
यह रस्म काफी पवित्र और पारंपरिक है, जो आज के समय महाराजा की भूमिका को प्रदर्शित करती है और भविष्य की ओर देखती है।’’
धार्मिक समारोह में पांच चरण होते हैं: मान्यता; शपथ; अभिषेक,संस्कार और ताज पहनाना; तथा सिंहासनरूढ़ करना।
बकिंघम पैलेस ने कहा, ‘‘शाही राजकीय ताज या राज मुकुट, वह ताज है जिसे महाराजा ने ताजपोशी समारोह के अंत में 17वीं सदी के, सेंट एडवर्ड के ताज की जगह पहना। शाही राजकीय ताज का उपयोग संसद सत्र के शुरू होने जैसे अवसरों पर भी किया जाता है।’’
कैमिला ने महारानी मेरी का ताज पहना, जिसे जून 1911 में उनकी (मेरी की) ताजपोशी के लिए निर्मित किया गया था।
उस वक्त इसमें विवादित कोहिनूर हीरा भी जड़ा हुआ था, जिसे बाद में हटा कर उसकी एक क्रिस्टल प्रतिकृति जड़ दी गई।
महारानी के ताज के आधुनिक प्रारूप में कोहिनूर हीरा नहीं जड़ा हुआ है और यह चांदी के फ्रेमसे बना है जिस पर सोने की तार तथा 2,200 हीरे जड़े हुए हैं।
चार्ल्स तृतीय ने राज्याभिषेक समारोह के दौरान दूसरी शपथ–राज्याभिषेक की घोषणा शपथ–लेते हुए कहा कि वह एक ‘धर्मनिष्ठ प्रोस्टैंट’ हैं।
कैंटरबरी के आर्चबिशप ने कहा कि ब्रिटेन में विभिन्न धर्मों का सम्मान किया जाता है। उन्होंने कहा कि चर्च ऑफ इंग्लैंड एक ऐसा माहौल बनाने की कोशिश करेगा, जिसमें सभी धर्मों के लोग मुक्त रूप से रह सकें।
इसके बाद चार्ल्स ने पवित्र ‘गोस्पेल’ पर हाथ रखा और अपने वादे पूरे करने की शपथ ली।
एबे में उपस्थित भारतीय मूल के लोगों में ‘ब्रिटिश एम्पायर मेडल’ विजेता और ब्रिटिश-भारतीय रसोइया मंजू माल्ही भी शामिल थीं।
चार्ल्स और कैमिला एक अन्य ऐतिहासिक बग्घी ‘गोल्ड स्टेट कोच’ से बकिंघम पैलेस लौटें।
इस बीच, द इंडीपेंडेंट अखबार की खबर के अनुसार, हाल में ढाले गये 50 पेंस के 100 सिक्कों की अदला-बदली नये महाराजा की एक पारंपरिक तलवार के लिए की गई। इन सिक्कों का मूल्य 50 पाउंड है और इन पर नये महाराजा का चित्र है।