Breaking News

MQ-9 Reaper Drone Deal: रक्षा मंत्रालय ने मोदी की यात्रा से पहले अमेरिका के साथ 3 बिलियन के ड्रोन डील को किया डन, कांप उठेंगे चीन-पाकिस्तान!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संयुक्त राज्य अमेरिका की पहली राजकीय यात्रा का उत्साह चारो ओर नजर आ रहा है। अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि ये नए क्षितिज को छूने, रक्षा-औद्योगिक सहयोग में नए बेंचमार्क स्थापित करने और रिश्ते को एस्केप वेलोसिटी में आगे बढ़ाने के लिए एक स्प्रिंगबोर्ड का काम करेगा। पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान भारत की सामरिक दृष्टि से कुछ ऐसे फैसले लिए जाएंगे जिससे उनकी ये अमेरिका यात्रा ऐतिहासिक बन जाएगी। इसमें सबसे अहम है रक्षा क्षेत्र में ठोस कदम उठाने की। रिपोर्ट्स के मुताबिक पीएम मोदी की यात्रा के दौरान 350 फाइटर जेट इंजनों के भारत में निर्माण का बड़ा राजनीतिक सौदा परवान चढ़ने वाला है।

इसे भी पढ़ें: India-US Relations: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी NSA से की मुलाकात, पीएम मोदी की आगामी अमेरिकी यात्रा की तैयारियों पर हुई चर्चा

इसके साथ ही अब खबर आ रही है कि जेट इंजन प्रौद्योगिकी के लिए बहुप्रतीक्षित सौदे के अलावा, भारत और अमेरिका 30 एमक्यू-9 रीपर या प्रीडेटर बी ड्रोन की एकमुश्त खरीद के लिए 3 बिलियन डॉलर के सौदे पर भी हस्ताक्षर करेंगे। रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने गुरुवार को मेगा डील को मंजूरी दे दी। मोदी के अगले हफ्ते वाशिंगटन रवाना होने से पहले भारतीय नौसेना द्वारा पेश की गई खरीद की फाइल अब एक नौकरशाही प्रक्रिया से गुजरेगी। तीनों सेनाएँ ड्रोन सौदे के लिए सहमत थीं, जो कि एक त्रि-सेवा अधिग्रहण है, लेकिन इसका नेतृत्व नौसेना द्वारा किया जा रहा है। 

इसे भी पढ़ें: Shaurya Path: PM Narendra Modi US Visit से भारत को होने वाले बड़े लाभों से जुड़े मुद्दों पर Brigadier DS Tripathi (R) से बातचीत

एमक्यू 9 रीपर ड्रोन के पंखों की लंबाई 20 मीटर है। रीपर 9 हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों के अलावा सेंसर और लेजर-गाइडेड बम ले जाने में सक्षम है। इसमें 27 घंटे तक लगातार उड़ान भरने की क्षमता है और यह 3,850 पाउंड (1,746 किलोग्राम पेलोड क्षमता के साथ 50,000 फीट तक संचालित हो सकता है। ड्रोन 1746 किलो के वजन को अपने साथ लेकर उड़ने की क्षमता भी रखता है। भारतीय नौसेना इन ड्रोनों के लिए प्रमुख सर्विस है और मामले को पूरी तरह से आगे बढ़ा रही है। तीनों सेनाओं की स्वदेशी स्रोतों से समान प्रकार के मध्यम ऊंचाई और लंबे समय तक चलने वाले ड्रोन के लिए जाने की भी योजना है। 

Loading

Back
Messenger