कुछ सांसदों ने नोबल कमेटी को पत्र लिखा है कि मोहम्मद यूनुस का नोबल शांति पुरस्कार की फिर से समीक्षा की जाए। इस विषय पर विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया क्या है। प्रभासाक्षी के इस सवाल पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि ये सवाल नोबल लॉरेट कमेटी से पूछिए। हमारे पास इसका जवाब नहीं है। आपको बता दें कि बांग्लादेश में हिंदुओं के कथित दमन और नरसंहार के खिलाफ विभिन्न हिंदू संगठनों ने गुरुवार को शिमला में प्रदर्शन किया और पड़ोसी देश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस को नोबेल शांति पुरस्कार वापस लेने की मांग की।
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‘डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स’ (डीएचआर) के बैनर तले सामाजिक संगठनों के साथ शामिल होकर, प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के सदस्यों और उनके पूजा स्थलों पर कथित अत्याचारों पर गुस्सा व्यक्त किया और अपनी सरकार से लोगों के अधिकारों की रक्षा करने का आह्वान किया। डीआरएच संयोजक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि 8 अगस्त को मुहम्मद यूनुस के सलाहकार बनने के बाद से हिंदुओं और उनके पूजा स्थलों पर हमले लगातार जारी हैं। बांग्लादेश में हिंदू समुदाय, जिसने 1971 में बांग्लादेश के अस्तित्व में आने पर मुक्ति वाहिनी और शेख मुजीबुर रहमान का समर्थन किया था, को गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है।
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श्रीवास्तव ने कहा कि दुर्भाग्य से जेहादी मानसिकता वाले एक व्यक्ति को सलाहकार बनाया गया है, और वह मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन करते हुए हिंदू और बौद्ध मंदिरों के विनाश को प्रोत्साहित कर रहा है। उन्होंने यूनुस को हमलों के पीछे का ‘मास्टरमाइंड’ कहा। उन्होंने कहा कि यूनुस के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मामला दायर किया जाना चाहिए और नोबेल पुरस्कार समिति को 2006 में उन्हें दिया गया शांति पुरस्कार वापस लेने पर विचार करना चाहिए।