अमेरिका की राजनीतिक मामलों की उपविदेश मंत्री विक्टोरिया नूलैंड ने सांसदों से कहा है कि अमेरिका को रूसी सैन्य उपकरणों के विकल्प खोजने में भारत की मदद करने की जरूरत है और “ यह काम हमें करना है।”
नूलैंड ने यह टिप्पणी विदेश कार्यालय से जुड़े मुद्दों पर बातचीत के लिए भारत यात्रा से पहले की है।
नूलैंड चार देशों-भारत, नेपाल, श्रीलंका और कतर के 28 जनवरी से तीन फरवरी के दौरे के दौरान दिल्ली जाएंगी।
उन्होंने रूस पर कांग्रेस की सुनवाई के दौरान सीनेट विदेश संबंध समिति के सदस्यों से कहा,“मुझे लगता है कि वे (भारत) 60 साल के उलझाव के बाद अपने लिए विकल्प तलाशना चाहते हैं, और उन्हें विकल्प उपलब्ध कराने का यही वह काम है जो हमे करना है।’’
वह सीनेटर जेफ मार्कले के एक सवाल का जवाब दे रही थीं जब उन्होंने सांसदों को बताया कि वह भारत की यात्रा पर जा रही हैं।
मार्कले ने कहा, “ मुझे सुनकर खुशी हुई कि आप भारत जा रही हैं। मुझे लगता है कि जंग के मैदान में रूस के हथियारों ने जिस तरह का प्रदर्शन किया है, उससे उनकी (भारत की) रूचि कम होगी।”
रूस के यूक्रेन पर आक्रमण की निंदा करने के लिएसंयुक्त राष्ट्र में हुए मतदान से गैर हाजिर रहने को लेकर भारत की अमेरिकी सांसदों ने आलोचना की थी। इनमें रिपब्लिक और डेमोक्रेटिक पार्टी दोनों के सांसद शामिल हैं।
अमेरिकी अधिकारियों ने भारत द्वारा रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीदने को लेकर भी चिंता व्यक्त की है।
नूलैंड ने जवाब में कहा, “ भारत की मेरी पिछली यात्रा के दौरान सबसे पहली चीज़ हमने जो कही थी कि वह यह थी कि देखिए कि इन हथियारों ने युद्ध के मैदान में कैसा प्रदर्शन किया है।”
मार्कले ने कहा कि अमेरिका को रूस के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करने में भारत और दक्षिण अफ्रीका तथा आसियान राष्ट्रों के साथ मुश्किल हो रही है।
नूलैंड ने कहा, “ दक्षिण अफ्रीका और भारत के संबंध में आप जानते हैं कि इन देशों के रूस के साथ ऐतिहासिक रिश्ते हैं।”
उन्होंने कहा, “हम उन्हें नियमित रूप से बताने की कोशिश कर रहे हैं कि ये निर्भरताएं उन्हें और अधिक कमजोर बनाती हैं और हम ऐसा करना जारी रखेंगे। तेल मूल्य सीमा के मामले में भारत काफी संदेह कर रहा था लेकिन वे अब प्रमुख लाभार्थी है क्योंकि वे रूस से जो तेल खरीद रहे हैं वह बहुत सस्ता है।”
नूलैंड ने कहा कि भारत को रूसी हथियारों से दूर करने पर काम किया जा रहा है और “ मेरी अगले हफ्ते की भारत यात्रा के दौरान इस समेत अन्य मुद्दों पर बातचीत की जाएगी। दक्षिण अफ्रीका का मामला जटिल है।”
भारतीय विदेश मंत्रालय ने नवंबर 2021 में कहा था कि भारत स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करता है और रक्षा हथियारों की खरीद राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के मद्देनजर की जाती है।
भारत सरकार ने रूस से तेल खरीदने का भी पुरजोर बचाव किया है और कहा है कि वह वहां से तेल खरीदेगी जहां सस्ता मिलेगा।