इस सप्ताह की शुरुआत में वार्ता में सफलता के बावजूद, यूरोपीय संघ (ईयू) के नेता शुक्रवार को फिर से इस बात पर भिड़ गए कि प्रवासन के मानवीय घटनाक्रम को कैसे संभाला जाए जिसने पिछले दशक में उनके सामान्य उद्देश्य की भावना को कसौटी पर रखा है।
दुनिया के अमीर देशों का सबसे बड़ा समूह उन देशों के बीच बंटा हुआ है जो एकजुटता दिखाने के लिए सदस्यों के बीच प्रवासियों को बांटने पर केंद्रित ब्रसेल्स की पहल का समर्थन करते हैं और हंगरी या पोलैंड जैसे देशों के बीच बंटा हुआ है, जिनकी धुर दक्षिणपंथी सरकारें बाहरी लोगों की आमद को खतरा मानती हैं।
अवांछित आगमन पर नकेल कसने के लिए इटली ब्रिटेन के साथ संबंध स्थापित करने के वास्ते यूरोपीय संघ से बाहर भी जा रहा है।
स्पेन के ग्रेनाडा में मुलाकात से पहले हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन इस बारे में स्पष्ट थे कि यूरोप के नेता अब भी आम सहमति तक पहुंचने से कितने दूर हैं। बार-बार यूरोपीय संघ की नीति का विरोध और प्रवासन के खिलाफ सख्त रुख अपनाने वाले ओर्बन ने कहा कि वह निकट भविष्य में किसी भी समय किसी भी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे। उन्होंने इस स्थिति की तुलना हंगरी के साथी यूरोपीय संघ सदस्यों द्वारा “कानूनी रूप से बलात्कार” किए जाने से की।
ओर्बन ने कहा, “राजनीतिक दृष्टि से प्रवास पर समझौता असंभव है – आज नहीं (या) आम तौर पर अगले वर्षों के लिए भी।”
उन्होंने कहा, “क्योंकि कानूनी तौर पर हम, इसे कैसे कहें- हमारे साथ बलात्कार हुआ है।
तो अगर आपके साथ कानूनी तौर पर बलात्कार किया जाए, आपको कोई ऐसी बात स्वीकार करने के लिए मजबूर किया जाए जो आपको पसंद नहीं है, तो आप कैसे समझौता करना चाहेंगे?”
यह विवाद बुधवार को हुए एक समझौते पर है, जो अगर नीति बन जाता है, तो फिर इसके तहत यूरोपीय संघ की बाहरी सीमाओं पर एक केंद्र स्थापित किया जाएगा ताकि लोगों के आने पर उनकी जांच की जा सके।
यूरोपीय संघ के अधिकांश गृह मंत्रियों की सहमति के बाद यह समझौता अब यूरोपीय संसद में जाएगा, जहां इसे बाध्यकारी बनाए जाने से पहले आगे की बातचीत होगी।