भारत और रूस की दोस्ती वर्षों पुरानी है। लेकिन इन दिनों कूटनीति कहे या मौजूदा जरूरत रूस के कट्टर दुश्मन अमेरिका से भी भारत की नजदीकियां पहले के मुकाबले काफी बढ़ी है। अमेरिका और भारत की क़रीबी बहुत पुरानी नहीं है लेकिन सामरिक साझेदारी के तौर पर बहुत ही अहम है। अमेरिका की नजर भारत के डिफेंस बाजार पर भी है। जिस पर सालों से रूस का ही आधिपथ्य रहा है। अब अमेरिका भारत ते पुराने दोस्त और हथियारों के सप्लायर रूस के बाजार में सेंध लगाना चाहता है या फिर कहें कि हथियाना चाहता है। तभी तो अमेरिका की तरफ से एक बार फिर से सार्वजनित तौर पर कहा गया है कि रूस छोड़कर भारत हमसे ही हथियार खरीद। अभी हाल ही में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में अमेरिकी के वाणिज्य सचिव ने हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि आप अपनी रक्षा- सुरक्षा के लिए फ्रांस और ब्रिटेन में निर्भर रहे। इससे बुरा क्या हो सकता है। देखिए, अमेरिका दुनिया में सबसे बेहतर रक्षा प्रणाली तैयार करता है, निर्माण करता है और सप्लाई करता है। आप कभी भी फ्रांस और ब्रिटेन को अपना सप्लायर नहीं बना सकते। साथ ही रूस भी जिसके ऊपर आप निर्भर कर सकें और अपनी आजादी देख सकें। अमेरिकी रक्षा उद्योग दुनिया में सबसे बेहतर और उम्दा है। ये पूरी तरह से भारत के लिए भी अच्छा है। तो आप नामसमझ लोगों की बातों को सुनना बंद करें और अमेरिका से आकर बात करें। जो कि आपके प्रधानमंत्री ने किया भी है। उन्होंने अच्छा काम किया। जब वो यहां थे।
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ये कोई पहली दफा नहीं है जब अमेरिका ने सार्वजनिक मंच पर रूस का इस अंदाज में मजाक उड़ाया हो। इस वक्त अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हैं और ट्रंप की फ्रांस के साथ अच्छी बनती नहीं है। इसलिए अमेरिका के निशाने पर फ्रांस भी रहा। ट्रंप सरकार के प्रतिनिधि चाहे वो कोई भी मौका लगते ही यूरोप, फ्रांस, ब्रिटेन या कोई और देश उसका मजाक बनाना नहीं भूलते और यही वजह है कि अमेरिकी वाणिज्य सचिव ने भी भारत को बार बार इस बात पर जोर देते हुए कहा कि भारत और अमेरिका एक अच्छे दोस्त हो सकते हैं और अमेरिका दुनिया का सबसे अच्छा रक्षा उद्योग है और तकनीक निर्माण करता है। ऐसे में भारत को रूस, फ्रांस, ब्रिटेन पर अपनी निर्भरता को छोड़कर अमेरिका के साथ एक मजबूत गठजोड़ करना चाहिए। इस दिशा में उन्होंने पीएम मोदी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति की मुलाकात की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये सही दिशा में उठाया हुआ कदम है।
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हाल ही में अमेरिका ने भारत को एक प्रेस कॉन्फेंस के दौरान एफ-35 का ऑफर दिया। हालांकि ये ऑफर कोई कागजी तौर पर नहीं बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा दिया गया। इससे पहले भी अमेरिका लगातार ये चाहता रहा है कि भारत रूस से अपने हथियारों की निर्भरता को कम कर दे और अमेरिका के साथ ज्यादा से ज्यादा रक्षा सहयोग पर काम करे। हालांकि भारत ने हमेशा से ये कहा है कि रूस भारत का हमेशा से एक विश्वसनीय साथी है। हालात कोई भी हो भारत रूस का साथ नहीं छोड़ता है। रूस के साथ भारत का रक्षा सौदा एस-400 और एके-203 राइफल तक ही सीमित नहीं है। रूस की तरफ से भारत की तीनों सेनाओं के लिए रक्षा उपकरण मुहैया कराई जाती है। भारतीय वायु सेना के रूसी मिग-29 और सुखोई-30 इसके कुछ जीवंत उदाहरण हैं। नौ सेना की बात करें तो रूसी जेट और पोत भी उसके बेड़े में शामिल हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो भारत और रूस के बीच एक मजबूत रक्षा सहयोग है। स्टाकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक, 2010 से 2019 तक रूस ने अपने हथियार निर्यात का एक-तिहाई हिस्सा भारत को बेचा है। वर्तमान दौर में जल, थल और आसमान में हिन्दुस्तान की ताकत का कोई सानी नहीं है। भारतीय जवानों के साथ कदम से कदम मिलते हैं तो दुश्मन के दिल हिलते हैं।
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