अमेरिका की साप्ताहिक पत्रिका ‘द न्यूयॉर्कर’ नेपहली बार अपने कवर-पेज पर अदालती कार्यवाही का एक स्केच प्रकाशित किया।
पत्रिका के 17 अप्रैल 2023 के अंक में नजर आने वाला यह स्केच लोगों को दो हफ्ते पहले पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ हुई उस ऐतिहासिक अदालती कार्यवाही की झलक देता है, जिसके लिए कैमरे का प्रयोग नहीं किया जा सकता था।
चूंकि, ट्रंप आपराधिक आरोपों का सामना करने वाले अमेरिका के पहले पूर्व राष्ट्रपति हैं, इसलिए इस मामले में जनता की गहरी दिलचस्पी है।
हालांकि, जब ट्रंप व्यापार संबंधी दस्तावेजों से छेड़छाड़ के मामले में खुद पर लगाए गए आरोपों से इनकार कर रहे थे, तब अदालत कक्ष में सिर्फ तीन कोर्टरूम चित्रकारों को ही उनके हाव-भाव और प्रतिक्रियाओं को कागज पर उतारने की इजाजत थी।
इस तरह, यह उस दौर में लौटने के समान था, जब सिर्फ चित्रकार ही आम लोगों को अदालती कार्यवाही का दृश्य उपलब्ध करा सकते थे। बाद में अदालतों में कैमरे के इस्तेमाल के संबंध में विभिन्न आदेश पारित होने से अदालती कार्यवाही की स्केच बनाने की कला धीरे-धीरे दम तोड़ने लगी।
अदालती स्केच और टैबलॉयड अपराध फोटोग्राफी, दोनों का अध्ययन करने के बाद मैं अक्सर सोचती हूं कि अगर अदालती कार्यवाही के स्केच की कला विलुप्त हो जाए, तो क्या खो सकता है।
अदालती स्केच का इतिहास
-अदालती कार्यवाही को कागज पर उतारने वाले स्केच कलाकारों की संख्या लगातार घट रही है। बावजूद इसके, कुछ कलाकार अपनी कला जारी रखने में सक्षम हैं, क्योंकि कई न्यायाधीश अभी भी अपनी अदालत में होने वाली सुनवाई की तस्वीरें लेने की इजाजत नहीं देते।
फिर भी अमेरिकी अदालतों में कैमरों पर प्रतिबंध से संबंधित राष्ट्रीय मानक 100 साल से कम पुराना है।
प्रथम विश्व युद्ध के बाद जब समाचार फोटोग्राफी लोकप्रिय होने लगी, तब अदालती कार्यवाही की तस्वीरें ‘न्यूयॉर्क डेली न्यूज’ सहित अन्य टैबलॉयड का प्रमुख हिस्सा बन गईं। ये अखबार अपने संवाददाताओं को हाई-प्रोफाइल मामलों की रिपोर्टिंग के लिए नियमित रूप से अदालतों में भेजने लगे। उन्होंने अदालतों में कैमरों के इस्तेमाल की इजाजत को लेकर न्यायाधीशों के खंडित रुख का खूब फायदा उठाया।
ब्रूनो रिचर्ड हॉन्टमैन के मुकदमे ने अदालत कक्ष में कैमरों के इस्तेमाल के खिलाफ नियमों की झड़ी लगा दी।
1935 में, हॉन्टमैन के खिलाफ चार्ल्स लिंडबर्ग के बच्चे के अपहरण और हत्या का मुकदमा चलाया गया था। ‘सदी के मुकदमे’ के तौर पर वर्णित इस मामले की रिपोर्टिंग के लिए अनुमानित 700 संवाददाता और 130 से अधिक कैमरामैन न्यूजर्सी के फ्लेमिंगटन पहुंचे थे। उस दौरान, अदालती कार्यवाही की कवरेज कर रहे फोटोग्राफरों के वकीलों की मेज पर चढ़ने,गवाहों के चहरे पर ‘फ्लैश लाइट’ दिखाने और हॉन्टमैन की तस्वीरें खींचने के चक्कर में एक-दूसरे से धक्का-मुक्की करने की खबरें सामने आई थीं।
हॉन्टमैन मामले में लोगों की सनसनीखेज दिलचस्पी की जांच करने के बाद अमेरिकन बार एसोसिएशन ने 1937 के कैनन ऑफ ज्यूडिशियल एथिक्स के कैनन-35 में अदालत कक्ष में फोटोग्राफी पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद, अमेरिकी संसद ने 1944 में आपराधिक प्रक्रिया के संघीय नियमों के नियम-53 को लागू किया, जिसके तहत न्यायिक कार्यवाही के दौरान संघीय अदालतों में फोटोग्राफी को प्रतिबंधित कर दिया गया।
यह वैधानिक प्रतिबंध आज भी अमेरिका की संघीय आपराधिक अदालतों और उच्चतम न्यायालय में प्रभावी है।
कैमरे भले ही आम जनता को सुनवाई के दौरान अदालत के दृश्य का सजीव नजारा देते हैं, लेकिन अमेरिकन बार एसोसिएशन के मुताबिक, ये अदालती कार्यवाही की ‘उपयुक्त गरिमा और शिष्टता’ को भंग भी कर सकते हैं।
एक कलात्मक प्रतिस्पर्धा
-चूंकि, अदालती स्केच के इतिहास को अदालत कक्ष में फोटोग्राफी पर पाबंदी लगाने के इतिहास से अलग नहीं किया जा सकता है, इसलिए अदालत कक्ष के नजारे को तस्वीरों या स्केच में ढालने के मामले में कैमरे और मानव कलाकारों को अक्सर प्रतिस्पर्धी के रूप में देखा जाता है।
प्रिंट या टेलीविजन समाचार एजेंसी के साथ काम करने वाले फ्रीलांस (स्वतंत्र) कोर्टरूम स्केच कलाकारों को समयसीमा पर खरा उतरने के लिए तीव्र गति से स्केच बनाने होते हैं।
गौरतलब है कि कोर्टरूम स्केच कलाकार मैरी चेने ने लॉस एंजिलिस में रॉडने किंग की पिटाई के आरोप में मुकदमे का सामना कर रहे चार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सुनवाई के दृश्य को 260 से अधिक स्केच के माध्यम से चित्रित किया था।
डेविड रोज जैसे कोर्टरूम स्केच कलाकारों का कहना है कि कैमरे की ‘मेकेनिकल’ आंखें सुनवाई के दृश्यों को उतनी संवेदनशीलता और मानवीय-भावनात्मक कोण से कैद नहीं कर सकतीं, जितनी कि मनुष्य की आंखें और हाथ कर सकते हैं।
वायरल हुआ स्केच
-ट्ंरप के खिलाफ सुनवाई से जुड़े जेन रोजनबर्ग के स्केच के वायरल होने के पीछे भी यही वजह थी।
क्रिस्टीन कॉर्नेल और एलिजाबेथ विलियम्स के बनाए स्केच के मुकाबले रोजनबर्ग के स्केच ने लोगों का ध्यान ज्यादा खींचा, क्योंकि यह मैनहैट्टन जिला अटॉर्नी ऑल्विन ब्रैग के सामने हाथ बांधे खड़े ट्रंप की आंखों की उदासी को दर्शाने में अधिक कामयाब साबित हुआ था।
अदालती स्केच का संरक्षण
-जब रॉयटर्स ने रोजनबर्ग के अदालती स्केच को ट्वीट किया, तो इसके संरक्षण को लेकर चर्चाएं शुरू होने लगीं।
अदालती कार्यवाही के स्केच बनाने की कला भले ही आखिरी सांसें गिन रही है, लेकिन किसी भी अन्य कला स्वरूप की तरह ही अदालती स्केच को भी न सिर्फ संरक्षित किया जाता है, बल्कि इनकी प्रदर्शनी भी लगाई जाती है। बाद में आरोप तय किए जाने, दलीलें दिए जाने और अलग-अलग पक्ष सामने आने के बाद इनमें बदलाव भी किए जा सकते हैं।
अदालती कार्यवाही के स्केच को ऑनलाइन मीम में भी तब्दील किया जा सकता है।