मॉस्को में अपने संबोधन में पीएम मोदी ने रूस के साथ भारत के संबंधों की कहानी बताई। मैं अकेला नहीं आया हूं, मैं अपने साथ बहुत कुछ लेकर आया हूं। मैं अपने साथ हिंदुस्तान की मिट्टी की महक लेकर आया हूं। मैं अपने साथ 140 करोड़ देशवासियों का प्यार लेकर आया हूं। 2015 में जब मैं यहां आया था, तब मैंने कहा था कि 21वीं सदी भारत की होगी। तब मैं कह रहा था, आज दुनिया कह रही है। दुनिया के सभी विशेषज्ञ कह रहे हैं कि 21वीं सदी भारत की सदी है। ये सारी मीटिंग ट्रस्ट और रिस्पेक्ट बढ़ाने वाली रही है।
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पीएम मोदी ने कहा कि जब हमारे छात्र संघर्ष के बीच फंसे थे, तो राष्ट्रपति पुतिन ने उन्हें वापस भारत पहुंचाने में हमारी मदद की थी। मैं रूस के लोगों का, मेरे मित्र राष्ट्रपति पुतिन का इसके लिए भी फिर से आभार व्यक्त करता हूं। भारत-रूस की दोस्ती के लिए मैं विशेष रूप से अपने मित्र राष्ट्रपति पुतिन की लीडरशिप की भी सराहना करूंगा। उन्होंने दो दशक से ज्यादा समय तक इस पार्टनरशिप को मज़बूती देने के लिए शानदार काम किया है। बीते 10 सालों में मैं छठी बार रूस आया हूं और इन सालों मैं हम एक दूसरे से 17 बार मिले हैं। हर बारी हमारी दोस्ती और मजबूत होकर उभरी है। रूसी भाषा में druzhba को मतलब हिंदी में दोस्ती है। यही शब्द दोनों देशों के संबंधों का परिचायक है।
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रूस शब्द सुनते ही…हर भारतीय के मन में पहला शब्द आता है… भारत के सुख-दुख का साथी, भारत का भरोसेमंद दोस्त। रूस में सर्दी के मौसम में टेंपरेचर कितना ही माइनस में नीचे क्यों न चला जाए। भारत-रूस की दोस्ती हमेशा प्लस में रही है, गर्मजोशी भरी रही है। ये रिश्ता म्यूचल ट्रस्ट और म्यूचल रिसपेक्ट की मज़बूत नींव पर बना है। मुझे खुशी है कि Global Prosperity को नई ऊर्जा देने के लिए भारत और रूस कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। यहां मौजूद आप सभी लोग भारत और रूस के संबंधों को नई ऊंचाई दे रहे हैं। आपने अपनी मेहनत और ईमानदारी से रूस के समाज में अपना योगदान दिया है। हमारे त्योहारों को रूसी दोस्त भी मनाते हैं। ये पीपल टु पीपल कनेक्ट सरकार के दायरे से काफी ऊपर होता है। हमारा रिश्ता म्युचल रिस्पेक्ट पर टिका है। घर-घर में गाना गाया जाता है- सिर पर लाल टोपी रूसी, फिर भी दिल है हिंदुस्तानी।