पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) में भाग लेने वाले नेताओं ने बृहस्पतिवार को इस क्षेत्र को ‘‘विकास के केंद्र’’ के रूप में बढ़ावा देने का संकल्प लिया।
वे यह सुनिश्चित करने के लिए सहयोग को मजबूत करने पर सहमत हुए कि रणनीतिक क्षेत्र प्रतिस्पर्धी, समावेशी, दूरदर्शी, लचीला, अनुकूल और भविष्य की क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों के प्रति उत्तरदायी बना रहे।
शिखर सम्मेलन के अंत में नेताओं के एक बयान में सदस्य देशों ने सहयोग को और बढ़ाने तथा उनके बीच दोस्ती के मौजूदा बंधन को मजबूत करने के लिए एक शांतिपूर्ण माहौल बनाने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। जकार्ता में आयोजित 18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी हिस्सा लिया।
‘क्षेत्र को विकास के केंद्र के रूप में बनाए रखना और बढ़ावा देना’ शीर्षक वाले सात पन्ने के बयान में क्षेत्र में शांति, स्थिरता को बनाए रखने, समृद्धि को बढ़ावा देनेके लिए समान हित की पुष्टि की गई है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार विवादों का शांतिपूर्ण समाधान भी शामिल है।
बयान में कहा गया कि नेताओं ने प्रौद्योगिकी में प्रगति और चौथी औद्योगिक क्रांति सहित तेजी से बदलते वैश्विक और क्षेत्रीय भू-राजनीतिक तथा भू-आर्थिक परिदृश्य के चलते बन रहे अवसरों और चुनौतियों को पहचानने का आह्वान किया।
बयान में कहा गया कि सदस्य देशों ने क्षेत्र में सुरक्षा, स्थिरता, समृद्धि और शांति को बढ़ावा देने के लिए समानता, साझेदारी, परामर्श और आपसी सम्मान के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए देशों और लोगों के बीच सहयोग को और बढ़ाने तथा दोस्ती के मौजूदा बंधन को मजबूत करने के लिए शांतिपूर्ण माहौल बनाने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
वे अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के सिद्धांतों पर आधारित बहुपक्षवाद को बढ़ावा देने पर सहमत हुए, जिसमें महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों और चुनौतियों से निपटने के लिए क्षेत्रीय बहुपक्षीय वास्तुकला को मजबूत करना शामिल है।
नेताओं ने ऊर्जा सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा बढ़ाने, वित्तीय स्थिरता बनाए रखने और क्षेत्रीय स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने पर सहयोग के माध्यम से उभरती चुनौतियों एवं भविष्य के झटकों के खिलाफ लचीलापन बनाकर क्षेत्र को ‘‘विकास के केंद्र’’ के रूप में बनाए रखने तथा बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
बयान में कहा गया है कि उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए सहयोग और साझेदारी को मजबूत करने का फैसला किया कि क्षेत्र प्रासंगिक, प्रतिस्पर्धी, समावेशी, दूरदर्शी, लचीला, अनुकूल और भविष्य की क्षेत्रीय तथा वैश्विक चुनौतियों के प्रति उत्तरदायी बना रहे।
नेताओं ने आर्थिक लचीलेपन को मजबूत करने का भी निर्णय लिया, जिसमें क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को बढ़ाना, व्यापार और निवेश को सुविधाजनक बनाना, सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को संबोधित करना और समावेशी डिजिटल परिवर्तन में तेजी लाना, निजी जानकारी की रक्षा करते हुए डेटा के सीमा पार प्रवाह को सुविधाजनक बनाना और मजबूत करना शामिल है।
वे जलवायु परिवर्तन पर सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए, जिसमें जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) और पेरिस समझौते के पूर्ण और प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सहयोग को मजबूत करना, आपूर्ति श्रृंखलाओं को और अधिक लचीला बनाना शामिल है।
उन्होंने लोकतांत्रिक मूल्यों, सुशासन, कानून के शासन, मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
उन्होंने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को केंद्र में रखते हुए नियम-आधारित, गैर-भेदभावपूर्ण, स्वतंत्र, निष्पक्ष, खुला, समावेशी, न्यायसंगत, टिकाऊ और पारदर्शी बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली (एमटीएस) को मजबूत करने का निर्णय लिया।
नेताओं ने आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) के नेतृत्व वाले तंत्रों के माध्यम से समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग और प्रबंधन को बढ़ावा देने तथा समुद्री पर्यावरण, जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा एवं संरक्षण के माध्यम से क्षेत्रीय समुद्री सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।
नेता वर्तमान और भविष्य के खतरों से व्यापक रूप से निपटने के लिए आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय अपराध का मुकाबला करने के लिए सहयोग करने पर सहमत हुए, जिसमें ऐसे खतरों से निपटने की क्षमता बढ़ाना और इस प्रयास को बढ़ाने के लिए नयी और विकसित प्रौद्योगिकियों का उपयोग करना शामिल है।
सुरक्षा और रक्षा से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन एशिया-प्रशांत क्षेत्र का प्रमुख मंच है। 2005 में स्थापना के बाद से, इसने पूर्वी एशिया के रणनीतिक, भू-राजनीतिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
आसियान सदस्य देशों के अलावा, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भारत, चीन, जापान, कोरिया गणराज्य, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका और रूस शामिल हैं।