श्रीलंका के अपदस्थ राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने बृहस्पतिवार को ब्रिटिश टेलीविजन चैनल के इन आरोपों को खारिज करते हुए ‘झूठ का पुलिंदा’ करार दिया कि 2019 में ईस्टर पर हुए आत्मघाती बम धमाकों की योजना उनके समर्थकों ने बनाई थी ताकि चुनाव में उन्हें जीत हासिल हो सके।
श्रीलंका में 2019 के सिलसिलेवार धमाकों में करीब 270 लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों अन्य घायल हुए थे।
ब्रिटेन के ‘चैनल 4 टेलीविजन’ ने मंगलवार को ‘श्रीलंका ईस्टर बॉम्बिंग्स- डिस्पैचिस’ शीर्षक से एक वृत्तचित्र प्रसारित किया था जिसमें 2019 में ईस्टर पर हुए आत्मघाती बम धमाकों को अंजाम देने में कुछ सरकारी अधिकारियों की संलिप्तता और मिलीभगत का आरोप लगाया गया। वृत्तचित्र में दावा किया गया है कि हमला राजपक्षे बंधुओं के पक्ष में राजनीतिक माहौल बनाने के लिए ‘सुनियोजित तरीके ’से किया गया।
राष्ट्रपति पद से अपदस्थ किए गए 74 वर्षीय राजपक्षे ने एकक विस्तृत बयान में वृत्तचित्र को ‘राजपक्षे विरोधी हमला’ करार दिया और कहा कि इसका उद्देश्य 2005 के बाद से उनकी विरासत को कलंकित करना है। उन्होंने कहा कि यह उसी चैनल द्वारा प्रसारित पिछले कार्यक्रमों की तरह झूठ का पुलिंदा है।
उन्होंने कहा कि यह दावा करना बेतुका है कि इस्लामी चरमपंथियों के एक समूह ने उन्हें राष्ट्रपति बनाने के लिए आत्मघाती हमले किए।
वृत्तचित्र में दावा किया गया है कि राजपक्षे के वफादार मेजर जनरल सुरेश सैली ने मुस्लिम चरमपंथियों के साथ 2019 के हमलों की साजिश रची थी। इसका जवाब देते हुए गोटबाया ने कहा कि सैली एक सैन्य अधिकारी थे जिन्होंने कई राष्ट्रपतियों के अधीन काम किया है और सभी सैन्य अधिकारी देश के प्रति वफादार हैं न कि निजी व्यक्तियों के प्रति।
राजपक्षे ने दावा किया कि 2015 में रक्षा सचिव का पद छोड़ने के बाद और 2019 में राष्ट्रपति चुने जाने तक उनका सैली से कोई संपर्क नहीं था। उन्होंने कहा कि सैली ने चैनल 4 को सूचित किया था कि वृत्तचित्र में जिस समय उनके और आत्मघाती हमलावरों की मुलाकात का आरोप लगाया गया है उस समय वह श्रीलंका में नहीं थे।
राजपक्षे ने कहा, ‘‘इसलिए, फरवरी 2018 में मेजर जनरल सैली की आत्मघाती हमलावरों से मुलाकात की यह कहानी स्पष्ट रूप से मनगढ़ंत है।’’
उन्होंने जोर देकर कहा कि 2015 से 2019 के बीच सरकार ने देश में इस्लामी उग्रवाद के उदय को नकार दिया था। राजपक्षे ने कहा, ‘‘ईस्टर बम धमाकों की जांच के लिए गठित राष्ट्रपति जांच आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा है कि मुस्लिम चरमपंथ के उदय के संकेतों को 2015 से 2019 के दौरान सरकार द्वारा नकार दिया गया था।’’
इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) से जुड़े स्थानीय इस्लामी चरमपंथी समूह नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) के नौ आत्मघाती हमलावरों ने 21 अप्रैल, 2019 को तीन कैथलिक गिरिजाघर और कई लक्जरी होटलों में सिलसिलेवार धमाकों को अंजाम दिया था जिसमें 11 भारतीय सहित सहित लगभग 270 लोग मारे गए जबकि 500 से अधिक लोग घायल हुए थे।
श्रम और विदेशी रोजगार मंत्री मानुषा नानायक्कारा ने बुधवार को संसद को बताया कि मंत्रिमंडल ने ब्रिटेन के ‘चैनल 4’ द्वारा प्रसारित वृत्तचित्र में लगाए गए आरोपों की जांच के लिए एक विशेष संसदीय समिति (पीएससी) गठित करने का फैसला किया है जो राजनीतिक महौल अपने पक्ष में करने के लिए राजपक्षे बंधुओं द्वारा हमले की ‘सुनियोजित योजना बनाने’ के आरोपों की जांच करेगी।