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Turkiye From Ataturk to Erdogan: लगातार 11वीं बार होगी एर्दोगान की ताजपोशी, तुर्किये को बनाने वाले अतातुर्क के बाद अब तक के दूसरे सबसे बड़े लीडर बने

रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने तुर्की का राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है। दूसरे राउंड में एर्दोगान ने बहुमत हासिल किया है। एर्दोगान की जीत पर अंकारा में जश्न मनाया जा रहा है। लगातार चुनावों में जीत मिलने से अब वो तुर्किये को बनाने वाले नेता कमाल अतातुर्क के बाद दूसरे बड़े नेता बन गए। रजब तैयब एर्दोगान ने लागातार 11वीं बार तुर्कीए का राष्ट्रपति का चुनाव जीत कर इतिहास रच दिया है। लंबे समय से सत्ता पर काबित एर्दोगान को विपक्षी नेता कमाल किलिकडारोग्लू से कड़ी टक्कर मिली। 28 मई को हुए रन अप दौर में एर्दोगान ने 52.1 प्रतिशत वोट लेकर बाजी मार ली है। जबकि कमाल किलिकडारोग्लू को 47.9 प्रतिशत वोट ही मिले। जीत के बाद एर्दोगान ने तुर्की के लोगों को धन्यवाद कहा और अपनी पार्टी के किए वादों को पूरा करने का भी ऐलान किया। एर्दोगान की जीत के ऐलान से पहले ही अंकारा में जीत का जश्न मनाया जा रहा था। 

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मोदी- बाइडेन और नाटो चीफ ने दी बधाई

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एर्दोगान को फिर से राष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई दी और ट्विट करके कहा कि मैं द्विपक्षीय मुद्दों और साझा वैश्विक चुनौतियों पर नाटो सहयोगी के रूप में एक साथ काम करना जारी रखने की आशा जताता हूं। वहीं नाटो चीफ जेन्स स्टोल्टेनब ने कहा कि आपके दोबारा चुने जाने पर आपको बधाई देता हूं। जुलाई में होने वाली समिट के लिए एक साथ अपना काम करने और तैयारी करने के लिए उत्सुक हूं। पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा कि तुर्किये के राष्ट्रपति के रूप में फिर से चुने जाने पर एर्दोगान  को बधाई! मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में वैश्विक मुद्दों पर हमारे द्विपक्षीय संबंध और सहयोग बढ़ते रहेंगे।”

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‘गांधी’ कहां खा गए मात 

74 साल के पूर्व नौकरशाह कमाल किलिकडारोग्लू मुख्य प्रतिद्वंद्वी रहे। वह गांधीजी जैसा गोल चश्मा पहनते हैं और बेहद विनम्र हैं।  उन्हें तुर्की का गांधी भी कहा जाता है। किलिकडारोग्लू ने एर्दोगन के लोकतांत्रिक पिछड़ेपन को उलटने के वादों पर अभियान चलाया, ताकि पारंपरिक नीतियों पर वापस लौटकर अर्थव्यवस्था को बहाल किया जा सके और पश्चिम के साथ संबंधों में सुधार किया जा सके। उन्होंने कहा कि चुनाव अब तक का सबसे अन्यायपूर्ण चुनाव था, जिसमें एर्दोगन के लिए सभी राज्य संसाधन जुटाए गए थे। उन्होंने अंकारा में कहा कि जब तक हमारे देश में वास्तविक लोकतंत्र नहीं आ जाता, तब तक हम इस संघर्ष में सबसे आगे रहेंगे। 

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आर्थिक मोर्चे पर कहां खड़ा है देश?

वर्षों के आर्थिक कुप्रबंधन के बाद नवंबर 2022 में तुर्की की मुद्रास्फीति दर 85 प्रतिशत पर पहुंच गई। फिर ये दिसंबर में कुछ कम होकर 64 प्रतिशत हो गई। यह यूरोप में अब तक की सबसे ऊंची दर है। तुर्की का विदेशी मुद्रा भंडार घट रहा है और राष्ट्र को बढ़ते चालू-खाता घाटे का सामना करना पड़ रहा है। 3.6 मिलियन सीरियाई शरणार्थियों की उपस्थिति से तुर्की की आबादी तेजी से असंतुष्ट है, जिसे तुर्की ने सीरियाई गृहयुद्ध की शुरुआत में स्वीकार किया था। एर्दोगन के बढ़ते निरंकुश 20 साल के शासन से भी थकान बढ़ रही है। पूरी पीढ़ी किसी अन्य नेता को नहीं जानती।

ऐसे हुआ एर्दोगान के तीसरे कार्यकाल का रास्ता साफ

तुर्की की 600 सीटों वाली संसद में प्रवेश के लिए एक पार्टी के पास 7 प्रदतिशत वोट होना जरूरी है। फिर पार्टी किसी ऐसे गठबंधन का हिस्सा हो जिसके पास वोटों की जरूरी संख्या मौजूद हो। तुर्की में एक व्यक्ति केवल 2 टर्म तक ही राष्ट्रपति रह सकता है। एर्दोगन के 2 कार्यकाल पूरे हो चुके हैं। लेकिन 2017 में राष्ट्रपति के अधिकारों से जुड़ा रेफरेंडम लाया गया था, जिसकी वजह से उनका कार्यकाल जल्दी खत्म हो गया। इसी वजह से एर्दोगन को तीसरी बार चुनाव लड़ने की इजाजत मिल गई।  

 

 

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