यूरोपीय संघ (ईयू) के नेताओं को लगता है कि शांति की संभावना चाहे जितनी दूर हो, लेकिन अब समय आ गया है कि इजराइल और फलस्तीनियों के बीच भविष्य के रिश्ते की नींव रखी जाए।
वे क्षेत्र का एक ऐसा भविष्य चाहते हैं, जिसमें चरमपंथी समूह हमास का गाजा पर नियंत्रण न हो।
इजराइल और फलस्तीनियों के बीच दशकों से जारी तनाव के कारण पश्चिम एशिया और खाड़ी क्षेत्रों में नाराजगी और यहां तक कि संघर्ष को भी बढ़ावा मिला है। इस बात को ध्यान में रखते हुए कि 27 देशों के समूह ईयू ने लंबे समय से जारी दो देशों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को हकीकत में तब्दील करने के तरीके खोजने शुरू कर दिए हैं।
हमास द्वारा इजराइल पर सात अक्टूबर को किये गये हमले के बाद उसकी (इजराइल की) जवाबी कार्रवाई में सात हजार फलस्तीनी मारे जा चुके हैं और इजराइली हवाई हमले अब भी जारी हैं।
इस बीच ब्रसेल्स में बैठक के दूसरे दिन ईयू के नेताओं ने संघर्ष को फैलने से रोकने के लिए व्यापक राजनयिक और सुरक्षा पहल किए जाने पर जोर दिया।
आयरलैंड के प्रधानमंत्री लियो वराडकर ने कहा, “इस संघर्ष का इतिहास सात अक्टूबर के हमले से शुरू नहीं हुआ और यह गाजा में जमीनी जंग के साथ खत्म नहीं होगा।”
उन्होंने कहा, “यह बिल्कुल स्पष्ट है: इजराइल और अरबों के बीच 75 साल का संघर्ष, युद्ध, आतंकवादी हमले, भारी अस्थिरता। यह सैन्य समाधान से खत्म नहीं होगा। यह नहीं हो सकता।”
बेल्जियम के प्रधानमंत्री एलेक्जेंडर डि क्रू ने कहा कि “यह संघर्ष होने के कारणों में एक शुद्ध सुरक्षा नीति और एक सुरक्षा समाधान शामिल है।
इसलिए, राजनीतिक संवाद शुरू करने की जरूरत है।”
इस संघर्ष में पीड़ित लोगों को सहायता पहुंचाने के अलावा सुरक्षा के लिहाज से ईयू की कोई खास भूमिका नहीं है।
ईयू ने हमास के खिलाफ आत्मरक्षा के इजराइल के अधिकार का समर्थन किया है। हालांकि गाजा में मृतकों की बढ़ती तादाद के बीच ईयू ने चाहता है कि इजराइल अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करे।
यूरोपीय संघ वर्षों 1967 में निर्धारित सीमाओं के आधार पर से एक इजराइल और एक फलस्तीन की अवधारणा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है।