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365 दिन की जंग के बाद भी नहीं टूटी हमास की डिफेंस लाइन, 101 बंधकों को छुड़ाने में भी नाकाम

हमास इजरायल के जंग को एक साल पूरे हो गए हैं लेकिन आईडीएफ का ऑपरेशन अभी भी जारी है। सात अक्टूबर के दिन ही पिछले साल हमास ने इजरायल पर हमला किया था और उसके बाद इस्राइल ने हमास पर अटैक शुरू किया जो अब इस्राइल के लिए छह फ्रंट वॉर में तब्दील हो गया है। एक साल बाद हम पाते हैं कि इजरायल जिन घोषित लक्ष्यों के साथ युद्ध में गया था उनमें से एक भी हासिल नहीं कर पाया है। पिछले एक साल में इजरायल ने अपने दुश्मनों पर नकेल कसने में कुछ हद तक सफलता हासिल की है, लेकिन अपने युद्धों को निर्णायक अंत तक पहुंचाने में असफल रहा है।

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बंधकों को नहीं ला पाए
इजरायल सभी बंधकों को हमास के चंगुल से छुड़ाने में कामयाब नहीं रहा। इसका सबसे बड़ा कारण है कि इजरायल किसी भी समझौते पर तैयार नहीं हुआ। साथ ही हमास पर ऐसा सैन्य दबाव भी नहीं बनाया जा सका जिससे वह सरेंडर को मजबूर हो जाए। हमास पूरे गाजा के खंडहर बनने के बाद भी अभी एक गुरिल्ला संगठन की तरह काम कर रहा है। आम तौर पर अगर आतंकियों को सेना से नुकसान होता है तो वे आगे नहीं बढ़ते। बल्कि वह खुद को बचाने की कोशिश करते हैं। इस हिसाब से हमास का गाजा में खुद को बचाए रहना ही एक जीत है। यही कारण है कि याह्या सिनवार किसी भी सौदे पर तैयार नहीं होता।
400 लोगों को गोली मार दी गयी थी 
एक साल पहले आज ही के दिन सुबह ठीक साढ़े छह बजे जब हमास ने हमला शुरू किया था तो नोवा संगीत महोत्सव में मारे गए लोगों के परिवारजन उस स्थल पर एकत्रित हुए जहां करीब 400 लोगों को गोली मार दी गयी थी और कई अन्य लोगों को बंधक बना लिया गया था। उसी वक्त गाजा में अब भी आतंकवादियों के चंगुल में फंसे लोगों के परिवार के सदस्य प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के यरुशलम आवास के बाहर एकत्रित हुए और दो मिनट के सायरन के दौरान खड़े रहे जो नरसंहार की स्मृति दिवस पर निभायी जाने वाली परंपरा को दर्शाता है। 

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सरकार की नाकामी से लोगों में गुस्सा
इस हमले को रोकने में सरकार की नाकामी और बंधकों की वापसी न होने से गुस्साए लोग तेल अवीव में एक अलग कार्यक्रम आयोजित करेंगे। इस हमले के बाद गाजा में शुरू हुए युद्ध में 41,000 से अधिक फलस्तीनी मारे गए हैं, क्षेत्र की 23 लाख की आबादी में से ज्यादातर लोग विस्थापित हो गए हैं और एक मानवीय संकट पैदा हो गया है। इस युद्ध ने गाजा में जगह-जगह तबाही के निशान छोड़े हैं।

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