Breaking News

Prabhasakshi Exclusive: Fatah-Hamas की दोस्ती कहीं Netanyahu को भारी ना पड़ जाये, China ने जो चाल चली है उसका परिणाम क्या हो सकता है?

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि चीन के सहयोग से फिलस्तीन में दो गुटों में समझौता हुआ। दूसरी ओर इजराइल के प्रधानमंत्री अमेरिका दौरा करके आये। फिलस्तीन में घटे राजनीतिक घटनाक्रम और इजराइली प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा से इजराइल-हमास संघर्ष क्या कोई नया रुख ले सकता है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि फिलस्तीन में जो कुछ हुआ वह वहां की स्थानीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति के हिसाब से भी बड़ा घटनाक्रम है। उन्होंने कहा कि गाजा में युद्ध के बीच एकजुटता प्रदर्शित करते हुए फतह और हमास सहित 14 फलस्तीनी समूहों ने चीन की मध्यस्थता में हुई एक बैठक में आपसी मतभेदों को खत्म करने और फिलस्तीनी एकजुटता को मजबूत करने के लिए संयुक्त रूप से संकल्प लिया।
 

इसे भी पढ़ें: Israel-Hamas war: गाजा के एक स्कूल पर इजरायल ने कर दी स्ट्राइक, 30 फिलिस्तीनियों की मौत, 100 घायल

 
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि चीन के विदेश मंत्रालय ने तीन दिन तक प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच बातचीत का समन्वय किया। उन्होंने कहा कि चीनी विदेश मंत्रालय ने इस बारे में कहा है कि यह घोषणा इजराइली हमलों से त्रस्त गाजा पट्टी में ‘‘व्यापक, टिकाऊ और सतत युद्धविराम’’ को बढ़ावा देने की दिशा में पहला कदम है। उन्होंने कहा कि चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने इन गुटों के नेताओं से मुलाकात की और कहा कि समझौते पर हस्ताक्षर फिलस्तीन मुद्दे के लिए एक महत्वपूर्ण, ऐतिहासिक क्षण है। उन्होंने कहा कि समझौते के तहत प्रतिद्वंद्वी समूह युद्ध के बाद गाजा पर शासन करने के लिए एक अंतरिम राष्ट्रीय सुलह सरकार बनाने पर सहमत हुए हैं।
 
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इस समझौते का उद्देश्य इजराइल के साथ संघर्ष में फिलस्तीनियों को एकजुट करना है। उन्होंने कहा कि हस्ताक्षरकर्ताओं में हमास के वरिष्ठ अधिकारी मूसा अबू मरज़ूक और फतह के दूत महमूद अल-अलौल के साथ-साथ 12 अन्य फिलस्तीनी समूहों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह पहली बार है जब 14 प्रतिद्वंद्वी समूह सुलह वार्ता के लिए बीजिंग में एकत्र हुए। उन्होंने कहा कि वैसे यह सुलह फिलस्तीनी गुटों का आंतरिक मामला है, लेकिन साथ ही इसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समर्थन के बिना हासिल नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इस वार्ता का मुख्य परिणाम यह है कि पीएलओ (फिलस्तीन मुक्ति संगठन) सभी फिलस्तीनी लोगों का एकमात्र वैध प्रतिनिधि है। उन्होंने कहा कि गाजा युद्ध के बाद शासन और एक अंतरिम राष्ट्रीय सुलह सरकार के गठन पर समझौता हुआ है।
 
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हमास गाजा पट्टी पर शासन करता है, जबकि फतह फिलस्तीनी प्राधिकरण को नियंत्रित करता है, जिसका वेस्ट बैंक पर आंशिक प्रशासनिक नियंत्रण है। उन्होंने कहा कि इजराइल ने गाजा में युद्ध समाप्त होने से पहले हमास को नष्ट करने का संकल्प लिया है। इसलिए इजराइल ने बीजिंग की घोषणा को तुरंत खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि इजराइल के विदेश मंत्री आई. काट्ज ने ‘एक्स’ पर जारी एक पोस्ट में कहा कि आतंकवाद को खारिज करने के बजाय, महमूद अब्बास हमास के हत्यारों और बलात्कारियों को गले लगाते हैं, जिससे उनका असली चेहरा सामने आया है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा इस घोषणापत्र पर ऐसे समय में हस्ताक्षर किए गए हैं, जब इजराइल और हमास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थित संघर्ष-विराम प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं, जो गाजा पट्टी में नौ महीने से जारी युद्ध को समाप्त कर सकता है और हमास द्वारा बंधक बनाए गए इजराइली नागरिकों की आजादी की राह तैयार कर सकता है।
 
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हालांकि, समझौते पर सहमति बनने के बावजूद युद्ध के बाद गाजा पट्टी की स्थिति को लेकर संशय बरकरार रहेगा, क्योंकि इजराइल इस क्षेत्र के शासन में हमास की किसी भी भूमिका के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि हमास ने वर्ष 2007 में हिंसक संघर्ष के दौरान फिलस्तीन के तत्कालीन राष्ट्रपति महमूद अब्बास के वफादार फतह लड़ाकों को गाजा पट्टी से खदेड़कर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था, जिसके बाद से ही दोनों समूह एक-दूसरे के विरोधी रहे हैं।
 

इसे भी पढ़ें: संतुलन साधने की कोशिश या पुरानी दोस्ती? बाइडेन-हैरिस के बाद अब ट्रंप से नेतन्याहू की मुलाकात के मायने क्या हैं

 
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की अमेरिका यात्रा की बात है तो वहां उन्हें पहले की तरह समर्थन मिलने की बजाय नसीहत ज्यादा मिली है। उन्होंने कहा कि इजराइली प्रधानमंत्री को हालांकि अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करने का अवसर मिला लेकिन जिस तरह उनकी यात्रा के विरोध में अमेरिका में प्रदर्शन हुए उससे वहां के राजनीतिक दल चौकन्ने हो गये हैं और इजराइल को अब पहले जैसा समर्थन नहीं दे रहे। उन्होंने कहा कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने भी परिस्थितियों को देखते हुए ही इजराइल से कहा है कि वह जल्द से जल्द इसका हल निकालें। कमला हैरिस ने इजराइल से हमास के साथ जल्द युद्धविराम समझौता करने और गाजा में विनाशकारी युद्ध स्थायी रूप से समाप्त करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि फिलस्तीनी क्षेत्र में हताहतों की संख्या बढ़ने और मानवीय संकट गहराने के बीच कमला हैरिस ने इजराइल के प्रधानमंत्री से यह आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि नेतन्याहू ने राष्ट्रपति जो. बाइडन से भी मुलाकात की लेकिन उसमें भी ज्यादा कुछ निकल कर नहीं आया। उन्होंने कहा कि वास्तविकता यह है कि युद्ध के नौवें महीने में पहुंचने के साथ नेतन्याहू पर इजराइल-गाजा युद्ध को समाप्त करने के लिए लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है।

Loading

Back
Messenger