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भारत में मनी लांड्रिग की रोकथाम का मुरीद हुआ FATF, जानें अपनी रिपोर्ट में क्या कहा?

देश में गैरकानूनी तरीके से पैसे का लेन-देन करने, अवैध कमाई को पकड़ने और आतंकी संगठनों तक वित्तीय संसाधनों की पहुंच को रोकने के लिए भारत का रिकार्ड बहुत ही अच्छा है। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने के लिए भारत के उपायों पर रिपोर्ट प्रकाशित की है। भारत ने धन शोधन निरोधक और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने की प्रणाली लागू की है जो कई मायनों में प्रभावी है। एफएटीएफ ने भारत के बारे में कहा कि धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण के मामलों में अभियोजन को मजबूत करने के लिए बड़े सुधारों की आवश्यकता है। गैर लाभकारी क्षेत्र का आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों में उपयोग न हो इसके लिए सुधार किये जाने की आवश्यकता है। 

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एफएटीएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत में धन शोधन का मुख्य स्रोत देश के भीतर की अवैध गतिविधियों से उत्पन्न होता है। ये जोखिम मुख्य रूप से धोखाधड़ी से संबंधित हैं, जिसमें साइबर-फ्रॉड, करप्शन और मादक पदार्थों की तस्करी शामिल है। देश को अदालती प्रक्रियाओं के समापन तक लंबित मनी लॉन्ड्रिंग मामलों के बैकलॉग को संबोधित करने की आवश्यकता है। हालांकि, भारत को अभियोजन को समाप्त करने और आतंकवादी वित्तपोषकों को दोषी ठहराने और उचित रूप से प्रतिबंध लगाने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

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फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) जी-7 ग्रुप की ओर से बनाई गई निगरानी एजेंसी है। इसकी स्थापना इंटरनेशनल लेवल पर मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद और विनाशकारी हथियारों के प्रसार और फाइनैंस को रोकना है। यह ऐसी गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए ऐसी गतिविधियों को रोकने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय मानक निर्धारित करता है। यह निगरानी के बाद देशों को टारगेट देता है, जैसे आतंकियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई, हथियारों की तस्करी की रोकथाम के लिए कानून बनाने की सलाह देता है। 

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