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पिछले 72 घंटों में हमने चीन में कुछ ऐसा देखा है जो एक पीढ़ी में नहीं देखा गया। कई शहरों में एक साथ सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन। चीन के लिए विरोध प्रदर्शन कोई नई बात नहीं है। विरोध इसलिए नहीं होता है क्योंकि चीन में जीवन अत्यधिक विनियमित है, ये हर समय विभिन्न कारणों से होते हैं जिनमें प्रतिकूल कामकाजी परिस्थितियों से लेकर बैंक विफलताएं शामिल हैं। लेकिन आखिरी बार जब विरोध एक मुद्दे के इर्द-गिर्द जमा हुआ था, वह 1989 की भीषण गर्मी के दौरान था।
चीन में कठोर कोविड नियमों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन 15 शहरों में पहुंच गया। पेइचिंग, शंघाई और ग्वांगझो जैसे शहर सत्ता विरोधी नारों से गूंज उठे। चीन की राजधानी पेइचिंग स्थित थियानमन चौक पर भी ‘आजादी आजादी’ के नारे लगे। आंदोलन की इस जमीन पर रविवार रात 100 प्रदर्शनकारियों के समूह ने सुरक्षा इंतजामों को धता बताते हुए इस चौक की ओर मार्च किया और सरकार विरोधी नारे लगाए। यह समूह लोगों से कह रहा था कि हमें लॉकडाउन से आजादी चाहिए, बराबरी चाहिए लोकतंत्र चाहिए और कानून का शासन चाहिए। हमें तानाशाही नहीं चाहिए। करीब एक डिग्री सेल्सियस तापमान, सर्दी से कांपते लोग, हाथ में A-4 साइज का पेपर लिए हुए लगातार नारेबाजी कर रहे थे।
33 साल पहले 1989 में इसी चौक पर राजनीतिक स्वतंत्रता का दायरा बढ़ाने की मांग पर बड़ा प्रदर्शन हुआ था। जून के पहले हफ्ते में लाखों लोग जुटे थे। जून 1989 में बीजिंग में भारी उथल पुथल मची हुई थी। चीनी छात्र लोकतंत्र की मांग कर रहे थे। छह हफ्तों तक बीजिंग की सड़कों पर प्रदर्शन होता रहा। प्रदर्शन का मुख्य अड्डा तियानमेन चौक था। प्रदर्शन लंबा चल रहा था। 3-4 जून की दरमियानी रात चीन ने प्रदर्शनकारियों पर बड़ी कार्रवाई की। प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर ऑटोमैटिक राइफल्स और टैंक के साथ हमला किया गया। इस दौरान दुनिया को वो मशहूर तस्वीर देखने को मिली जिसमें एक निहत्था आदमी चीनी सेना के टैंक का रास्ता रोके खड़ा था। विदेशी मीडिया के मुताबिक करीब 10 हजार प्रदर्शकारियों की हत्या कर दी गई। उस वक्त देनजियाउ पेंग चीन के राष्ट्रपति थे।
आंकड़ों के अनुसार केवल और केवल 2022 में ही 22 ऐसे मौके सामने आए हैं जब चीन सरकार के खिलाफ लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया है। ज्यादातर मौकों पर सरकार की कोरोना नीति को लेकर प्रदर्शन किए गए। जीरो कोविड पॉलिसी कई लोगों की समझ से परे लग रही। 1 जून से अब तक 22 मौकों पर सड़कों पर जनता सरकार के खिलाफ उतर चुकी हैं।