विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत पश्चिम एशिया में क्षेत्रीय युद्ध की संभावना से बहुत चिंतित है। मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि किसी भी देश की प्रतिक्रिया को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करना चाहिए और नागरिकों को नुकसान पहुंचाने से बचना चाहिए। ईरान द्वारा इज़राइल के खिलाफ मिसाइलों की बौछार शुरू करने से कुछ घंटे पहले संयुक्त राज्य अमेरिका में कार्नेगी एंडोमेंट सेंटर फॉर इंटरनेशनल पीस में पश्चिम एशिया में उभरती अस्थिर स्थिति पर बोल रहे थे। एस जयशंकर ने कहा कि हम यह भी मानते हैं कि किसी भी देश द्वारा की जाने वाली किसी भी प्रतिक्रिया में अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून को ध्यान में रखना होगा, तथा उसे नागरिक आबादी पर किसी भी तरह के नुकसान या प्रभाव के बारे में सावधान रहना होगा।
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गाजा में जो कुछ हुआ है, उसे देखते हुए, वहां किसी तरह के अंतरराष्ट्रीय मानवीय प्रयास होना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हम संघर्ष के व्यापक होने की आशंका से बहुत चिंतित हैं। न केवल लेबनान में जो हुआ उससे, बल्कि हूती और लाल सागर तक भी और आप जानते हैं कि कुछ हद तक ईरान और इजराइल के बीच जो कुछ भी हो रहा है उससे भी (चिंतित हैं)।हमारा उद्देश्य मददगार होना है। कुछ हद तक हमें अन्य लोगों को भी सूचित रखना होगा। जहां यह आवश्यक होता है, हम ऐसा भी करते हैं। उन्होंने कहा, देखिए हम युद्ध के तीसरे वर्ष में हैं। आज ऐसे बहुत कम देश हैं जो इन दोनों राजधानियों में जाकर, दोनों नेताओं से बात करके, फिर दूसरे पक्ष के पास वापस जाने की क्षमता रखते हैं।
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जयशंकर ने कहा कि मुझे लगता है कि किसी भी संघर्ष में, यदि किसी बिंदु पर संघर्ष को समाप्त करने का इरादा है, तो ऐसे प्रयास उपयोगी होते हैं। मैं कहूंगा कि वे प्रशंसनीय भी हैं। जयशंकर ने कहा, लेकिन फिर से कृपया समझें कि हम कोई वादा नहीं कर रहे हैं। हम यह सुझाव नहीं दे रहे हैं कि हमारे पास कोई बड़ा समझौता या शांति योजना है।