फ्रांस ने शुक्रवार को नाइजर से अपने सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया पूरी कर ली। नाइजर के नए जुंटा (सैन्य) प्रशासन ने फ्रांस से अपने सैनिकों को देश से वापस बुलाने को कहा था।
फ्रांस के सैनिकों की वापसी के साथ ही वर्षों से नाइजर को मिल रही जमीनी सैन्य मदद का अंत हो गया।
विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में जिहादी हिंसा के खिलाफ लड़ाई में व्यवधान आएगा।
फ्रांसीसी सेना के जनरल स्टाफ ने ईमेल द्वारा ‘एसोसिएटेड प्रेस’ (एपी) को बताया कि फ्रांसीसी सैनिकों को लेकर जाने वाला आखिरी विमान सैन्य शासन द्वारा तय समय सीमा के मुताबिक 22 दिसंबर को नाइजर से रवाना हो गया।
जुलाई में तख्तापलट के बाद देश के सैन्य शासन ने फ्रांस के साथ संबंध समाप्त कर दिए थे।
फ़्रांस ने इस सप्ताह घोषणा की थी वह नाइजर में अपने राजनयिक मिशन को ‘‘अनिश्चित समय’’ के लिए बंद कर देगा।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बृहस्पतिवार को जॉर्डन में एक सैन्य अड्डे के दौरे के दौरान कहा कि देश साहेल में शामिल रहेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हम वहां अपने हितों की रक्षा करना जारी रखेंगे लेकिन हमारी सेनाएं स्थायी रूप से वहां मौजूद नहीं होंगी, उनकी उपस्थिति कम या सीमित होगी।’’
नाइजर के जुंटा प्रशासन ने फ्रांस के साथ सैन्य सहयोग की समाप्ति को देश के लोगों के लिए ‘‘एक नए युग’’ की शुरुआत बताया।
जुंटा प्रशासन ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, ‘‘नाइजर मजबूती से खड़ा है और हमारी मातृभूमि की सुरक्षा अब विदेशी उपस्थिति पर निर्भर नहीं होगी।