नरेंद्र मोदी का डंका देश में तो पिछले एक दशक से लगातार बज ही रहा है। उनके सामने कोई भी विरोधी टिक नहीं पाता है। लेकिन नरेंद्र मोदी का डंका दुनियाभर की चौपालों पर भी बजने लगा है। देश ही नहीं विदेश में भी मोदी से पंगा लेकर राजनेता अपनी साख और साहस दोनों गंवाते नजर आ रहे हैं। 6 जनवरी का दिन कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो मीडिया के सामने आए और अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। अब जस्टिन ट्रूडो के बड़े ऐलान के बाद उनके राजनीतिक मर्सिया लिखे जाने की कवायद भी शुरू होने लगी है। दरअसल, कनाडा के निवर्तमान प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि वह अगला संघीय चुनाव नहीं लड़ेंगे। कहा जा रहा है कि यह ट्रूडो के करियर का आश्चर्यजनक अंत है, जिन्हें एक दशक पहले एक युवा, ऊर्जावान नेता के रूप में जाना जाता था।
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कनाडा के ग्लोबल न्यूज के मुताबिक जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि मेरे अपने निर्णयों के संदर्भ में मैं आगामी चुनाव में भाग नहीं लूंगा। ट्रूडो ने यह भी कहा कि उनके पास यह सोचने के लिए ज्यादा समय नहीं था कि राजनीति छोड़ने के बाद वह क्या करेंगे। जहां तक कि मैं बाद में क्या कर सकता हूं, ईमानदारी से कहूं तो मेरे पास इसके बारे में सोचने के लिए ज्यादा समय नहीं है, मैं पूरी तरह से उस काम को करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं जिसे करने के लिए कनाडाई लोगों ने मुझे असाधारण रूप से महत्वपूर्ण समय में चुना है।
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ट्रूडो ने कनाडा के प्रधानमंत्रियों और अमेरिका में कनाडा के राजदूत और कुछ संघीय कैबिनेट मंत्रियों से भी मुलाकात की। यह इस बात पर चर्चा करने के लिए किया गया था कि कनाडा ट्रम्प की टैरिफ धमकियों का जवाब कैसे देगा। ट्रूडो ने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि (सस्केचेवान प्रीमियर) स्कॉट (मो) और (ओंटारियो प्रीमियर) डौग (फोर्ड), और कुछ लोग जो कुछ समय से आसपास रहे हैं, इस टीम कनाडा दृष्टिकोण में, इन वार्तालापों में असाधारण रूप से अमूल्य रहे हैं। उन्होंने इस बात पर भी चर्चा की कि कैसे सभी ने कनाडा को प्राथमिकता दी।