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Prabhasakshi Exclusive: क्या वाकई Ukraine ने Russia द्वारा कब्जाये गये क्षेत्रों में से आधा हिस्सा वापस हासिल कर लिया है?

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के ताजा हालात क्या हैं? क्या मास्को तक यूक्रेनी ड्रोनों का पहुँचना पुतिन की कमजोरी का प्रतीक नहीं है? हमने यह भी जानना चाहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री के इस दावे में कितना दम है कि यूक्रेन ने रूस द्वारा कब्जाये इलाकों में से आधा वापस हासिल कर लिया है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध लगभग थमा हुआ है क्योंकि इसमें अभी ना किसी की जीत हुई है और ना किसी की हार। उन्होंने कहा कि यूक्रेन की ओर से किसी भी हिमाकत का रूस द्वारा तगड़ा जवाब दिया जा रहा है जिससे पश्चिमी देश भी हैरान हैं। इसीलिए अवधारणा की लड़ाई जीतने के लिए यह बात फैलायी जा रही है कि यूक्रेन ने अपना काफी इलाका वापस हासिल कर लिया है। उन्होंने कहा कि रूस ने अब तक यूक्रेन का जो 25 प्रतिशत इलाका कब्जाया था उसमें से चार-पांच प्रतिशत इलाका ही यूक्रेन वापस ले सका है जोकि नगण्य है। उन्होंने कहा कि जंगल और खुले इलाके में चार पांच किलोमीटर की जमीन वापस ले लेना कोई बड़ी कामयाबी नहीं है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चीन भी जाने वाले हैं जिससे रूस को और हथियारों की आपूर्ति हो सकेगी। उन्होंने कहा कि खबरें तो यहां तक हैं कि पाकिस्तान भी चीन होते हुए रूस को कुछ हथियार भेज रहा है। उन्होंने कहा कि रूस ने ग्रेन डील को बाधित कर पश्चिमी देशों पर जो चोट की है उससे वह परेशान हो उठे हैं। कई नाटो देशों में यह भावना भी आ रही है कि यूक्रेन की मदद करके हमें लाभ की जगह हानि ही हो रही है तो आखिर ऐसी स्थिति में हम कब तक योगदान करते रहें? उन्होंने कहा कि यह युद्ध इस दिशा में बढ़ चुका है कि इसे लड़ने वाले और इसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देने वाले देश भी अब आजिज आ चुके हैं लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि कोई भी शांति की पहल नहीं कर रहा।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक मास्को तक ड्रोन पहुँचने की बात है तो एकाध निशाना लग जा रहा है वरना बाकियों को रूस द्वारा मार गिराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रूस ने अपनी हथियार फैक्ट्रियों में उत्पादन बढ़ा रखा है। पुतिन नहीं चाहेंगे कि विश्व के युद्ध इतिहास में उन्हें एक हारे हुए नेता के रूप में देखा जाये इसीलिए वह इस युद्ध को बरसों बरस तकी खींचने के लिए भी तैयार हैं। उन्होंने कहा कि नाटो देशों ने रूस पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगा दिये और यूक्रेन को हथियार भी मुहैया करा दिये लेकिन रूस का ज्यादा कुछ नहीं बिगाड़ पाये।

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