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Vishwakhabram: Trump की घोषणा सुनकर डरने की बजाय Gaza के लोग अपनी जमीन की रक्षा के लिए और प्रतिबद्ध हो गये

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नजर गाजा पट्टी पर क्या पड़ी, यह इलाका पूरे विश्व में फिर से चर्चा का केंद्र बन गया है। हालांकि इस समय यहां इमारतों का मलबा और उन मलबों में अपनों तथा अपने सामान को ढूँढ़ते लोग ही दिखाई पड़ रहे हैं लेकिन मलबे में दबे इस इलाके से कैसे मालामाल होना है यह ट्रंप को स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। उन्होंने यह भी कह दिया है कि गाजा पट्टी को अमेरिका के कब्जे में लाने के लिए वहां हमें अपनी सेना भेजने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह काम तो इजराइल ही कर देगा। इजराइल ने इसके लिए तैयारियां भी शुरू कर दी हैं लेकिन दूसरी ओर गाजा के लोग भी इस बात के लिए प्रतिबद्ध नजर आ रहे हैं कि वह अपनी जमीन छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। ट्रंप के ऐलान के बाद उनकी यह प्रतिबद्धता और बढ़ गयी है। युद्धविराम की घोषणा के बाद तमाम लोग अपने इलाकों में लौट आये हैं जबकि वह जानते हैं कि ना तो उनके पास रहने के लिए छत है और ना ही गुजर बसर के लिए कोई योजना है।
इजराइल के रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने सेना को गाजा से निवासियों के स्वैच्छिक प्रस्थान की अनुमति देने के लिए एक योजना तैयार करने का निर्देश दिया है लेकिन गाजा निवासियों ने कहा है कि हमें देश छोड़ने की कोई भी योजना स्वीकार नहीं है। इज़राइल के चैनल 12 के मुताबिक रक्षा मंत्री काट्ज़ की योजना में निकास के कई विकल्प पेश किये जाएंगे साथ ही समुद्र और हवाई मार्ग से प्रस्थान के लिए भी विशेष व्यवस्था शामिल होगी।

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हम आपको यह भी बता दें कि इस समय गाजा में मौसम खराब है लेकिन इसके बावजूद लोगों का हौसला दृढ़ है। कपड़े की चादर से बने अस्थायी तंबू तेज हवाओं में उखड़ रहे हैं लेकिन लोग कह रहे हैं कि ना तो मौसम, ना ही ट्रंप और न ही इजराइल हमें हमारी जमीन से बेदखल कर पायेगा। खंडहरों में रह रहे लोग इजराइल को चुनौती देते हुए कह रहे हैं कि हमें यहां से निकाल कर तो दिखाओ। मीडिया रिपोर्टों में दिखाया गया है कि टूटी हुई खिड़कियों, टूटे दरवाजों वाले मकानों और इमारतों के बचे-खुचे ढांचे के बीच रह रहे लोग कह रहे हैं कि हम कहीं नहीं जाएंगे भले मुश्किलें और बढ़ जायें।
ट्रंप के प्रस्ताव को गाजा के लोग पागलपन बता रहे हैं और कह रहे हैं कि हम रियल एस्टेट डेवलपर ट्रंप को अपनी जमीनें नहीं बेचेंगे। उनका कहना है कि अगर ट्रंप यहां मदद करना चाहते हैं और पुनर्निर्माण में सहयोग करना चाहते हैं तो बिना शर्त करें। वहीं ट्रंप के ऐलान पर हमास भी बौखला गया है। हमास के अधिकारी बासम नईम ने बताया है कि हजारों फिलिस्तीनी अपने घरों में लौट आए हैं, खासकर क्षेत्र के उत्तरी हिस्से में जो लगभग पूरी तरह से खंडहर हो चुका है। नईम ने कहा कि यह फ़िलिस्तीनियों के ज़मीन के प्रति गहरे लगाव का सबूत है। नईम ने कहा कि अगर इजराइली लोग अपने दावों में ईमानदार हैं, तो उन्हें गाजा पर से दमघोंटू नाकाबंदी हटा देनी चाहिए, क्रॉसिंग खोल देनी चाहिए और वे यह देखकर चौंक जाएंगे कि भारी विनाश के बावजूद गाजा लौटने वालों की संख्या तेजी से बढ़ जाएगी।
हम आपको यह भी बता दें कि फ़िलिस्तीनियों का विस्थापन मध्य पूर्व में सबसे संवेदनशील मुद्दों में से एक है। वैसे देखा जाये तो सैन्य कब्जे के तहत आबादी का ज़बरदस्ती विस्थापन एक युद्ध अपराध है, जो 1949 के जिनेवा कन्वेंशन के तहत प्रतिबंधित है। लेकिन सवाल यह है कि अमेरिका के कहने पर इजराइल जब गाजा से लोगों को बाहर निकालेगा तो क्या अंतरराष्ट्रीय अदालत अमेरिका से जवाब मांगेगी या ट्रंप को युद्ध अपराध के लिए समन भेजा जायेगा या उनके खिलाफ कोई गिरफ्तारी वारंट जारी किया जायेगा।
हम आपको यह भी बता दें कि गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजरायल के सैन्य हमले ने पिछले 16 महीनों में 47,000 से अधिक फिलिस्तीनियों को मार डाला है। वहां इस समय की स्थिति को देखें तो इजराइल और हमास के बीच प्रारंभिक छह सप्ताह का युद्धविराम काफी हद तक कायम है। लेकिन देखना होगा कि गाजा से लोगों को बाहर निकालने की योजना जब आगे बढ़ती है तो वहां क्या हालात होते हैं। वैसे गाजा के लोग दुनिया में इस बात के लिए तो मिसाल की तरह हैं ही कि चाहे कुछ भी हो जाये अपनी भूमि को नहीं छोड़ेंगे।
-नीरज कुमार दुबे

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