अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवान ने सऊदी अरब में अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोङाल के साथ बैठक की है। इस बात की जानकारी देते हुए व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवान ने 7 मई को सऊदी अरब में अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल के साथ बैठक की है। डोभाल और सुलिवन के बीच महत्वाकांक्षी भारत-यूएस लॉन्च करने के बाद यह पहली बैठक है। सुलिवान वर्तमान में सऊदी अरब की यात्रा पर हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवान ने सऊदी प्रधानमंत्री और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शेख तहनून बिन जायद अल नाहयान और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल 7 मई को सऊदी अरब में भारत और दुनिया के साथ जुड़े अधिक सुरक्षित और समृद्ध मध्य पूर्व क्षेत्र की अपनी साझा दृष्टि को आगे बढ़ाने के लिए मुलाकात की।
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व्हाइट हाउस ने कहा कि सुलिवान ने द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मामलों पर चर्चा करने के लिए क्राउन प्रिंस, शेख तहनून और डोभाल के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी कीं। वह इस महीने के अंत में ऑस्ट्रेलिया में क्वाड शिखर सम्मेलन से इतर डोभाल के साथ और परामर्श करने के लिए उत्सुक हैं। क्राउन प्रिंस मोहम्मद के साथ उन्होंने यमन में अब 15 महीने लंबे युद्धविराम को और मजबूत करने के लिए वार्ता में महत्वपूर्ण प्रगति की समीक्षा की और युद्ध को समाप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में चल रहे प्रयासों का स्वागत किया, साथ ही साथ कई अन्य मुद्दों को भी शामिल किया।
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मीडिया रिपोर्ट में इस बैठक में शामिल देश दक्षिण एशिया में भारतीय उपमहाद्वीप को पश्चिम एशिया जिसे अमेरिका मध्य पूर्व कहता है के साथ बड़े क्षेत्र में रेलवे, समुद्री और सड़क संपर्क बनाने के लिए व्यापक पैमाने पर संयुक्त परियोजना की व्यापक रूपरेखा को लेकर चर्चा के दावे किए गए हैं। प्रमुख पहलों में से एक है जिसे व्हाइट हाउस मध्य पूर्व में शुरू करना चाहता है क्योंकि इस क्षेत्र में चीन का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. मध्य पूर्व चीन के बेल्ट एंड रोड विजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। बता दें कि इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास में ‘वाशिंगटन पोस्ट’ के स्तंभकार जमाल खशोगी की 2018 में हत्या के बाद अपने चुनाव प्रचार अभियान में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने सऊदी अरब को अलग-थलग करने का संकल्प लिया था। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का मानना है कि यह हत्या क्राउन प्रिंस के आदेश पर हुई, लेकिन सऊदी अरब इससे इनकार करता है। हालांकि, बाइडन ने पिछले साल जुलाई में सऊदी अरब की यात्रा कर यूक्रेन पर रूस के युद्ध जारी रहने के मद्देनजर ऊर्जा जरूरतों पर देश से सहायता मांगी थी।