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नयी पीढ़ी ईरान के महिला, जीवन, स्वतंत्रता आंदोलन में सोशल मीडिया का इस्तेमाल कैसे कर रही है

ईरान के अटॉर्नी जनरल ने हाल ही में संकेत दिया कि देश में हिजाब की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद देश की जिस नैतिकता पुलिस को भंग कर दिया गया था, उसे फिर से बहाल किया जाएगा।
हालांकि, सरकार ने अटॉर्नी जनरल की टिप्पणी की पुष्टि नहीं की है और स्थानीय मीडिया ने बताया है कि उनकी गलत व्याख्या की गई थी।
22 वर्षीय कुर्द-ईरानी महिला महसा (ज़ीना) अमिनी की मौत के बाद शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों के कई हफ्तों के बाद ईरान की नैतिकता पुलिस को लेकर यह अनिश्चितता सामने आई है।

ईरान के अनिवार्य हिजाब कानून का कथित रूप से उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के बाद 16 सितंबर को नैतिकता पुलिस की हिरासत में अमिनी की मौत हो गई थी।
विरोध प्रदर्शनों के पहले तीन महीनों में, ईरान के लगभग सभी 31 प्रांतों में प्रदर्शन हुए। अनिवार्य हिजाब कानूनों के खिलाफ 160 शहरों और 143 विश्वविद्यालयों में लोगों ने प्रदर्शनों में हिस्सा लिया। विदेशों में रहने वाले कई ईरानियों ने भी विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लिया।
ये विरोध प्रदर्शन ईरान में महिला अधिकार आंदोलनों के एक लंबे इतिहास का हिस्सा हैं।

लेकिन जो बात इस आंदोलन को अलग बनाती है वह यह है कि युवा महिलाएं अब अपनी खुद की ताकत को ऊपर उठाने और देश के पितृसत्तात्मक कानूनों को चुनौती देने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रही हैं।
ईरान में महिला अधिकार आंदोलन
1979 की क्रांति के बाद से ईरान ने कई विरोध प्रदर्शन देखे हैं। लेकिन महिला, जीवन, स्वतंत्रता आंदोलन ने युवा महिलाओं की एक नई पीढ़ी को आंदोलन में सबसे आगे लाने की शुरूआत की है।

महिला अधिकारों के आंदोलनों की पहली लहर सौ साल पहले ईरान में संवैधानिक क्रांति के साथ शुरू हुई थी। कई मौलवियों और धार्मिक हस्तियों ने उस समय इस तरह के बदलाव का विरोध किया था। यद्यपि संवैधानिक क्रांति का उद्देश्य ईरान में कानूनी और सामाजिक सुधारों को स्थापित करना था, रूढ़िवादी तत्वों ने इस्लाम का अक्सर राजनीतिक उपयोग किया ताकि समानता के लिए महिलाओं की मांगों को दबाया जा सके।

1979 में इस्लामी क्रांति के बाद, महिलाओं के कई अधिकार निलंबित कर दिए गए, जैसे कि परिवार सुरक्षा कानून, जिसे क्रांति से पहले सुरक्षित किया गया था।अप्रैल 1983 से, ईरान में सार्वजनिक क्षेत्र में सभी महिलाओं पर अनिवार्य हिजाब कानून लागू किया गया। महिलाओं के अधिकारों के आंदोलनों की तीसरी लहर 1979 की क्रांति के बाद शुरू हुई और दस लाख हस्ताक्षर जैसे विभिन्न अभियानों ने ईरान में लैंगिक समानता की मांग की।
महिला, जीवन, स्वतंत्रता
ईरान में ताजा नारीवादी आंदोलन ने समीकरण बदल दिए हैं।

महिला, जीवन, स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वालों ने अपने संदेश को फैलाने के लिए इंस्टाग्राम, फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंचों का इस्तेमाल किया है।
#गर्ल्सऑफरेवाल्यूशनस्ट्रीट और #व्हाइटवेडनेसडेज जैसे अभियान हैशटैग के कुछ उदाहरण हैं जिनका उपयोग अनिवार्य हिजाब कानूनों के खिलाफ युवतियों को ऑनलाइन और ऑफलाइन लामबंद करने के लिए किया गया है।
एक अधिनायकवादी संदर्भ में जहां महिलाओं के शरीर की निगरानी की जा रही है, सोशल मीडिया ने युवा महिलाओं को खुद को ऑनलाइन अभिव्यक्त करने का अधिकार दिया है।

वह जान गई हैं कि वह महिला, जीवन, स्वतंत्रता के नारे के तहत एक आंदोलन की प्रभावशाली प्रतिभागी हो सकती हैं, जो रूढ़िवादी धार्मिक और पितृसत्तात्मक मूल्यों को चुनौती देता है जिन्हें शिक्षा, मीडिया और पुलिसिंग के माध्यम से उनकी रोजमर्रा की जिन्दगी पर लागू किया गया है।
सोशल मीडिया शासन की हिंसा और तथ्यों के दमन जैसे मुद्दों को उठाने का एक साधन बन गया है। प्रदर्शनकारी एक दूसरे से जुड़ने, अपनी मांगों को मुखर करने, अपनी बहादुरी और सविनय अवज्ञा रणनीति को उजागर करने और सरकार की क्रूरता दिखाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं।

सोशल मीडिया ने युवा ईरानियों की एक नई पीढ़ी को सरकार के पितृसत्तात्मक नियमों से खुद को अलग करने की क्षमता प्रदान की है। जेनरेशन जी, जो सोशल मीडिया के युग में पली-बढ़ी है, खुद को लैंगिक समानता पर शिक्षित करने और वैश्विक नारीवादी आंदोलनों के साथ ऑनलाइन जुड़ने में सक्षम हैं।
इसमें उन मूल्यों, विश्वासों और चुनौतियों के बारे में सीखना शामिल है जिनका महिलाएं दुनिया भर में सामना कर रही हैं और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करके इन चुनौतियों को उजागर और संबोधित करने के तरीके शामिल हैं।

#मीटू आंदोलन ने दुनिया भर में यौन शोषण और हिंसा के बारे में जागरूकता बढ़ाई जिसका कई महिलाएं सामना करती हैं।
ईरान में, #मीटू यौन उत्पीड़न और हिंसा के बारे में बात करने की वर्जना को समाप्त करने और इस मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर अधिक केंद्रित था। देश में आंदोलन तब शुरू हुआ जब महिला पत्रकारों ने नौकरी के दौरान परेशान होने के अपने अनुभव साझा किए। कई अन्य महिलाएं जल्द ही अपने साथ हुए उत्पीड़न और दुर्व्यवहार का पर्दाफाश करने के लिए ऑनलाइन हो गईं।

सोशल मीडिया ने ईरानियों के लिए वैश्विक नारीवादी आंदोलनों से जुड़ना आसान बना दिया है और नारीवादी कार्यकर्ताओं को अपनी कहानियां बताने में सक्षम बनाया है। जनरेशन जी, महिला, जीवन, स्वतंत्रता आंदोलन के प्रगतिशील नेताओं के रूप में, अपनी मांगों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से स्पष्ट कर रही है और ईरान में महिलाओं की स्वतंत्रता प्राप्त करने की दिशा में बाधाओं को चुनौती दे रही है।

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