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आज बाजार में कैसे धड़ल्ले से बिक रहे हैं ‘free-range’ अंडे

ब्रिटेन में इस समय बर्ड फ्लू का अब तक का सबसे भयावह प्रकोप फैला हुआ है। जैसा कि नाम से पता चलता है, एवियन इन्फ्लूएंजा मुख्य रूप से पक्षियों को प्रभावित करता है, लेकिन यह मनुष्यों और अन्य स्तनधारियों को भी संक्रमित कर सकता है। यह वायरस पहली बार 1996 में चीन में सामने आया था और अत्यधिक रोगजनक एच5एन1 इसका इस समय तबाही मचाने वाला प्रमुख स्वरूप है।
बहुत कम जगह में अत्यधिक पक्षियों को रखने और कुक्कुटों के अनियंत्रित परिवहन के कारण एच5एन1 तेजी से फैल रहा है, जिससे तबाही हुई है।

केवल पोल्ट्री उद्योग ही प्रभावित नहीं हो रहा है। वर्तमान प्रकोप से अभूतपूर्व पैमाने पर वन्यजीव मारे जा रहे हैं। इनमें ब्रिटेन में समुद्री पक्षियों से लेकर पेरू में सी लॉयन तक शामिल हैं।
ब्रिटेन सरकार ने वर्तमान में इससे व्यापक जनता को बहुत कम जोखिम होने का आकलन किया है, लेकिन बर्ड फ्लू के वायरस के कुछ स्वरूप निरंतर निकट संपर्क के चलते मनुष्य तक पहुंच सकते हैं। डेविड एटनबरो की नवीनतम टेलीविजन शृंखला के निर्माताओं को इस डर के कारण स्कोमर द्वीप पर समुद्री पक्षियों के करीब जाकर शूटिंग करने की योजना वापस लेनी पड़ी की वे कहीं इस बीमारी की चपेट में ना आ जाएं।’’

प्रकोप के परिणामस्वरूप, नवंबर 2022 से इंग्लैंड में मुर्गियों को अनिवार्य तरीके से प्रतिबंधित क्षेत्र में रखने का नियम बना हुआ है। इसका मतलब है कि ब्रिटेन मेंउत्पादित कोई भी अंडा वर्तमान में ‘फ्री-रेंज’ में नहीं है। इस स्थिति का कोई निश्चित अंत नहीं है और फरवरी तक, फ्री-रेंज अंडों को फिर से लेबल कर दिया गया है।
कुछ उपभोक्ता ऐसी मुर्गियों के अंडे खरीदकर नाखुश हैं जिन्हें बाहर नहीं आने दिया जा रहा। ब्रिटेन में फ्री-रेंज अंडों के इतिहास से साफ होता है कि अंडों की खरीद को प्राथमिकता देना पहले कभी इतना सुरक्षित या नैतिक नहीं रहा।
ब्रिटेन में संचालित पशु कल्याण संस्था आरएसपीसीए ने ‘फ्री-रेंज’ अंडों की परिमें कहा है कि उन पक्षियों के अंडे जो दिन में असीमित तरीके से बाहरी चरागाहों तक आ सकते हैं।

बीसवीं सदी के मध्य से पहले तक ब्रिटेन में लगभग सभी अंडे फ्री-रेंज थे।
बाद में 1950 के दशक के बाद से बैटरी वाले पिंजड़ों को सामूहिक रूप से अपनाने से अंडा उद्योग ही बदल गया। बैटरी फॉर्मिंग में मुर्गियों को उनके पर्यावरण को नियंत्रित करने के लिए पिंजड़ों में बंद किया जाता है और उनके अंडों की संख्या बढ़ाई जाती है। ब्रिटेन में 1951 में जितने अंडों का उत्पादन हुआ, उनमें 80 प्रतिशत फ्री-रेंज थे। 1980 तक यह संख्या 1 प्रतिशत रह गयी।
बैटरी फॉर्म में रखे जाने वाले कुक्कटों की दशा स्वाभाविक रूप से बिगड़ने लगी। रथ हैरिसन की 1964 में आई ‘एनिमल मशीन्स’ उन शुरुआती पुस्तकों में से एक है जिसमें आधुनिक कुक्कुट उत्पादन की क्रूरता के बारे में लिखा गया है।
फ्री-रेंज अंडों को उपभोक्ता सुरक्षित और आसान विकल्प के रूप में देखते हैं।

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