खालिस्तानी समर्थक और एंटी इंडिया जस्टिन ट्रूडो अब कनाडा के प्रधानमंत्री नहीं हैं। बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर मार्क कोर्नी अब नए प्रधानमंत्री के तौर पर कनाडा की बागडोर संभालेंगे। दरअसल, अब कनाडा के प्रधानमंत्री के तौर पर मार्क कार्नी अब कनाडा को आगे लेकर जाएंगे। ऐसे समय पर जब अमेरिका से कनाडा को भरपूर चुनौती मिल रही है। कई अन्य देशों के साथ कनाडा का तनाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे समय में मार्क कोर्नी के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी सामने आई है, जिम्मेदारी कनाडा को आगे ले जाने की। वैसे तो मार्क कार्नी का राजनीति से कोई सीधा नाता नहीं है। कनाडा के इतिहास में भी ये पहली बार है कि जब कोई गैर राजनीतिक व्यक्ति बतौर प्रधानमंत्री कनाडा को संभालेगा। मार्क कार्नी को सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी का नया नेता चुन लिया गया है। इसी के साथ वो देश के अगले प्रधानमंत्री बनने वाले हैं। वो जस्टिन ट्रूडो की जगह लेंगे, जिन्होंने इसी साल की शुरुआत में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। बड़ी बात ये है कि मार्क कोर्नी को 86 प्रतिशत समर्थन हासिल हुआ है जो अपने आप में ऐतिहासिक है।
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कार्नी ने हाल ही में कहा था कि अगर वह प्रधानमंत्री बनते हैं तो भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत करेंगे। अब ऐसे में संदेश साफ है कि कनाडा में सत्ता बदलने के बाद भारत के साथ उसके रिश्ते सामान्य होंगे और बेहतरी की तरफ बढ़ेंगे। इसके साथ ही भारत के साथ संबंधों को पुनः मजबूत करने के अवसर मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि कॉमर्शियल संबंधों के इर्द-गिर्द मूल्यों की साझा भावना होनी चाहिए और अगर मैं प्रधानमंत्री हूं, तो मैं इसे बनाने के अवसर की प्रतीक्षा करूंगा। पिछले साल सितंबर में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों का ‘संभावित’ हाथ होने का आरोप तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने लगाया था।
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भारत की अर्थव्यवस्था से कार्नी का अच्छी तरह से परिचित होना उनके पक्ष में काम कर सकता है। इस साल जनवरी तक, कार्नी ब्रुकफील्ड एसेट मैनेजमेंट के बोर्ड के अध्यक्ष थे, जो एक ऐसी फर्म है जिसने भारत में रियल एस्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर और अक्षय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में लगभग 30 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। अब ऐसे में कार्नी अच्छे से जानते हैं कि अर्थव्यवस्था के मामले में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है और व्यावसायिक संबंधों को मजबूत करना दोनों देशों के हित में है।
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