संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष मानवाधिकार संस्था की ओर से नियुक्त एक विशेषज्ञ ने अपनी पहली रिपोर्ट में सोमवार को कहा कि पिछले साल फरवरी में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा यूक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू करने के बाद से रूस में मानवाधिकारों की स्थिति ‘बेहद खराब’ हो गई है।
मानवाधिकार परिषद द्वारा समर्थित और रूस की मानवाधिकारों की स्थिति पर विशेष प्रतिवेदक मारियाना कात्जारोवा ने रूस में की जा रही कार्रवाई का विवरण दिया जिसमें बताया कि बड़े पैमाने पर युद्ध को लेकर पुतिन की आलोचना करने वालों और विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है।
उनकी इस रिपोर्ट को सोमवार को सार्वजनिक किया गया।
इससे पहले कभी भी परिषद ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देश में मानवाधिकारों के मुद्दों की जांच के लिए किसी विशेषज्ञ को अधिकृत नहीं किया था। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों में ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और अमेरिका शामिल हैं।
रिपोर्ट में ओवीडी-इन्फो के पिछले महीने के आंकड़ों का हवाला दिया गया है। यह संस्थान मानवाधिकारों के उल्लंघन पर नजर रखता है।
इसमें बताया गया कि युद्ध के विरोध में किए गए प्रदर्शनों में भाग लेने पर पिछले साल फरवरी से जून तक 20 हजार से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया।
रिपोर्ट में यह भी बताया कि ‘युद्ध विरोधी गतिविधियां’ चलाने पर 600 से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज किए गए।
रिपोर्ट में कहा गया कि ‘शांतिपूर्ण तरीके से युद्ध विरोधी गतिविधियां’ चलाने पर गिरफ्तार किए गए प्रदर्शनकारियों में से आधे से अधिक महिलाएं थीं।