शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शासनाध्यक्षों की परिषद (सीएचजी) की 23वीं बैठक के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर पाकिस्तान के इस्लामाबाद पहुंच चुके हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बैठक में शामिल होने से साफ इनकार कर दिया था। अब इसको लेकर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री का दर्द साफ झलका है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री नवाज शरीफ ने आने वाले समय में भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की इच्छा व्यक्त की है। उन्होंने पड़ोसी देश के साथ बेहतर संबंधों की वकालत की। नवाज ने भारतीय पत्रकार बरखा दत्त के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि मैं हमेशा भारत के साथ अच्छे संबंधों का समर्थक रहा हूं। उन्होंने उम्मीद जताई कि रिश्ते को पुनर्जीवित करने का अवसर है। नवाज ने कहा कि ये बहुत अच्छा होती अगर प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी भी एससीओ शिखर सम्मेलन में शामिल होते। मुझे उम्मीद है कि निकट भविष्य में उन्हें और हमें एक साथ बैठने का अवसर मिलेगा।
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इंटरव्यू के दौरान नवाज शरीफ ने पाकिस्तान की आर्थिक स्थित पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि उनका देश सारी दुनिया से पैसे मांग रहा है, जबकि भारत चांद पर जा रहा है। उनके पास 600 अरब डॉलर का खजाना है। वो जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। हम 1-1 अरब डॉलर के लिए चीन समेच अरब देशों के सामने भीख मांग रहे हैं। पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में फरवरी 2019 में भारत के युद्धक विमानों द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर पर हमला करने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध गंभीर तनाव में आ गए। 5 अगस्त, 2019 को भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर की विशेष शक्तियों को वापस लेने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने की घोषणा के बाद संबंध और भी खराब हो गए। नई दिल्ली द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ राजनयिक संबंधों को कम कर दिया।
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हालाँकि, नवाज़ शरीफ़ बार-बार भारत के साथ सकारात्मक संबंधों की वकालत करते रहे हैं। पिछले साल उन्होंने भारत और अफगानिस्तान सहित पड़ोसियों के साथ संबंधों को बेहतर बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया था। उन्होंने यह याद दिलाते हुए कि कहा था कि दो भारतीय प्रधानमंत्रियों, अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान का दौरा किया था। उन्होंने मोदी को रिकॉर्ड तीसरी बार जीत हासिल करने पर बधाई दी और कहा कि यह उनके संबंधों पर लोगों के विश्वास को दर्शाता है।