पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के करीबी राष्ट्रपति आरिफ अल्वी की वजह से मुल्क में एक बार फिर सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने आधिकारिक गोपनीयता संशोधन विधेयक और पाकिस्तान सेना संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि वह खुद इस तरह के दावे से हैरान हैं। अल्वी ने अपने कर्मचारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने उनके आदेशों को नजरअंदाज किया और निर्धारित समय के भीतर बिना साइन बिल को वापस नहीं किया। इस कारण वे कानून में बदल गए। लेकिन, वह कभी नहीं चाहते थे कि ऐसा हो। पाक प्रेजिडेंट के इस बयान का सेना से विद्रोह के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि इन दोनों बिल, जो अब कानून बन चुके हैं, इनसे पाकिस्तानी सेना को और अधिक अधिकार मिलते हैं। अब इन कानून से किनारा कर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के करीबी राष्ट्रपति अल्वी सेना के निशाने पर हैं।
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राष्ट्रपति ने क्या कहा
अल्वी ने एक्स पर एक पोस्ट में दावा किया कि उन्होंने अपने कर्मचारियों को बिना हस्ताक्षर किए गए। बिलों को निर्धारित समय के भीतर वापस करने का निर्देश दिया ताकि वे प्रभावी न रहें। पूर्व पीएम इमरान खान की पार्टी पीटीआई से जुड़े अल्वी ने कहा कि अल्लाह इस बात का गवाह है कि मैंने दोनों बिल पर हस्ताक्षर नहीं किए, क्योंकि मैं इन कानूनों से असहमत था।
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दोनों विधेयक बन चुके हैं कानून
पाकिस्तानी राष्ट्रपति के दावे को कार्यवाहक कानून मंत्री इरफान असलम ने एक प्रेस कॉनफ्रेंस के माध्यम से गलत बताया है। असलम ने अनुच्छेद 75 का हवाला दिया है। उन्हें बिल पर हस्ताक्षर कर उन्हें कानून बनाना चाहिए था या उन्हें दस दिनों के भीतर अपनी टिप्पणियों और हस्ताक्षरों के साथ संसद में वापस भेजना चाहिए। दोनों विधेयकों पर सरकार की कानूनी और संवैधानिक स्थिति बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को राष्ट्रपति से दोनों में से किसी भी विधेयक प्राप्त नहीं हुआ है। वहीं सूचना मंत्री सोलांगी ने राष्ट्रपति के रुख को खारिज कर दिया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि बिल वापस किए गए हैं या नहीं।