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India-America की रणनीतिक साझेदारी कभी इतनी विविधतापूर्ण नहीं रही : ब्लिंकन

14 सितंबर अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी कभी इतनी विविधतापूर्ण नहीं रही क्योंकि दोनों देश उन्नत सेमीकंडक्टर से लेकर रक्षा सहयोग तक हर क्षेत्र में मिलकर काम कर रहे हैं।

भारत द्वारा जी20 शिखर सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी करने और राष्ट्रपति जो बाइडन तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच नयी दिल्ली में द्विपक्षीय वार्ता के कुछ दिनों बाद ब्लिंकन ने कहा कि भारत और अमेरिका को दोनों नेताओं द्वारा किए गए कई सहयोगों से लाभ होगा।

ब्लिंकन ने बुधवार को यहां जॉन्स हॉपकिंस स्कूल ऑफ एडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज (एसएआईएस) में ‘‘नए युग में अमेरिकी कूटनीति की शक्ति और उद्देश्य’’ विषय पर अपनी संबोधन में कहा, ‘‘अमेरिका-भारत की रणनीतिक साझेदारी कभी भी इतनी अधिक विविधतापूर्ण नहीं रही है, क्योंकि हम उन्नत सेमीकंडक्टर से लेकर रक्षा सहयोग तक हर चीज पर टीम के रूप में काम कर रहे हैं।’’

ब्लिंकन ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ क्वाड साझेदारी को बढ़ाया है ताकि देशों और दुनिया को टीकों के निर्माण से लेकर समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने और जलवायु चुनौतियों से निपटने तक, हर विषय पर काम किया जा सके।

नवंबर 2017 में चार देशों ने हिंद-प्रशांत में महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखने के वास्ते एक नयी रणनीति विकसित करने के लिए ‘‘क्वाड’’ की स्थापना के लंबित प्रस्ताव को आकार दिया।

ब्लिंकन ने कहा, ‘‘अभी पिछले हफ्ते ही जी20 में राष्ट्रपति बाइडन और भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने एक और महत्वाकांक्षी परिवहन, ऊर्जा और प्रौद्योगिकी गलियारे की घोषणा की, जो एशिया, पश्चिम एशिया और यूरोप के बंदरगाहों को जोड़ेगा।

सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन और डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ाने एवं पूरे क्षेत्र में महत्वपूर्ण आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने के लिए अमेरिका और भारत के साथ मिलकर काम करेंगे।’’

नए आर्थिक गलियारे को कई लोग चीन के विवादास्पद ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) के विकल्प के रूप में देखते हैं। पिछले सप्ताह नयी दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन से इतर अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ समेत अन्य देशों के नेताओं ने संयुक्त रूप से इसकी घोषणा की थी।

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