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संयुक्त राष्ट्र सुधारों पर भारत के चाणक्य ने चीन-पाकिस्तान को लगाई फटकार, बहुपक्षवाद पर भी किया प्रहार

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नई दिल्ली में रायसीना डायलॉग 2024 में संयुक्त राष्ट्र सुधारों के मुद्दे को संबोधित करते हुए अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिम पर कटाक्ष किया। जयशंकर ने कहा कि विश्व नियमों के साथ खिलवाड़ किया गया है और तर्क दिया गया है कि एक बड़ा वैश्विक पुनर्संतुलन है जो संयुक्त राष्ट्र से भी बड़ा है। वैश्वीकरण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अगर आप पिछले पांच वर्षों को देखें, तो सभी बड़े मुद्दों का एक तरह से हम बहुपक्षीय समाधान नहीं ढूंढ पाए हैं।

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जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के पांच स्थायी सदस्य देशों का कम दूरदर्शी नजरिया इस वैश्विक निकाय में बहुत अधिक समय से लंबित सुधार की राह में आगे बढ़ने में एक बाधा है। ‘रायसीना डायलॉग’ के एक सत्र में उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का‘सबसे बड़ा विरोधी कोई पश्चिमी देश नहीं है। उनकी इस टिप्पणी को चीन के परोक्ष संदर्भ के रूप में देखा जा रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में बदलाव की भावनाएं बहुत मजबूत हैं, लेकिन कुछ हलकों से इसके लिए सहमति प्राप्त करना चुनौती है। 
उन्होंने कहा कि यदि आप पांच देशों से यह पूछने जा रहे हैं कि क्या आप उन नियमों को बदलने पर विचार करेंगे जिससे आपकी शक्ति कम हो जाएगी, तो अनुमान लगाएं कि उत्तर क्या होगा।

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जयशंकर ने कहा कि यदि वे समझदार हैं तो जवाब कुछ और होगा, लेकिन यदि वे कम दूरदर्शी हैं तो जवाब वही होगा, जो हम आज देख रहे हैं। यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्यों में रूस, ब्रिटेन, अमेरिका, चीन और फ्रांस हैं। ये देश ‘वीटो’ का इस्तेमाल करके किसी भी प्रस्ताव को रोक सकते हैं। समसामयिक वैश्विक वास्तविकता को प्रतिबिंबित करने के लिए स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग बढ़ रही है। 

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