पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लांचर सिस्टम को लेकर फ्रांस के साथ डील की खबरों के बीच साल 2023 24 में भारत ने दूसरे देशों को 21000 करोड रुपए के हथियार बेचे हैं। अब क्योंकि भारत की डिफेंस इंडस्ट्री ग्रो कर रही है तो यह एक बड़ा नंबर है। लेकिन सबसे मजेदार बात यह है कि भारत कुछ साल पहले तक अमेरिका और फ्रांस से बड़ी मात्रा में हथियार लेता था। अब भारत इन देशों को डिफेंस मैटेरियल एक्सपोर्ट कर रहा है। वह दिन दूर नहीं जब यह देश भारत में बने स्वदेशी हथियारों की खरीद करेंगे। देश के डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी से बदलाव आ रहे हैं। यह सेक्टर पहले आयात पर निर्भर रहता था, लेकिन अब अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकियों के लिए वैश्विक केंद्र बन गया है। आत्मनिर्भरता के लिए प्रयास अब इंपोर्टेड कंपोनेंट्स को असेंबल करने तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक मानकों को टक्कर देने वाली अगली पीढ़ी की डिफेंस सिस्टम विकसित करने तक विस्तारित हो चुका है।
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एक दशक पहले तक भारत का रक्षा निर्यात मात्र 2000 करोड़ था। 2024 में यह 21000 करोड़ तक पहुंच गया है। एक दशक में अप्रत्याशित रूप से आकर बढ़ा है। भारत के हथियार ज्यादातर देशों से निर्यात किए गए हैं। ऐसे में बड़े डिफेंस प्लेयर्स के आगे छोटी सी भारत की डिफेंस इंडस्ट्री के लिए बड़ा चैलेंज था। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत एयरोस्पेस कंपोनेंट्स और कॉम्प्लेक्स सिस्टम असेंबली के लिए ग्लोबल स्तर पर एक पसंदीदा डेस्टिनेशन बन चुका है। सार्वजनिक और निजी इंडस्ट्री अहम भूमिका निभा रही हैं। 2025-26 के अंत तक रक्षा उत्पादन 1.60 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा और रक्षा निर्यात 30,000 करोड़ को पार कर जाएगा।
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2025-26 के लिए डिफेंस मंत्रालय को 6,81,210 करोड़ रुपये का कुल आवंटन हुआ है, जो साल-दर-साल 9.53 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। डिफेंस का बजट केंद्रीय बजट का 13.45 प्रतिशत है, यह बाकी मंत्रालयों की तुलना में सबसे अधिक है। रक्षा मंत्रालय ने डिफेंस प्रोडक्शन में 16.7 प्रतिशत की चौंका देने वाली वृद्धि के साथ वित्त वर्ष 2023-24 में 1,26,887 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग की मजबूत इकोलॉजी, एडवांस रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट व दूरदर्शी नीति ढांचे के साथ, देश ऐसे भविष्य को आकार दे रहा है, जहां आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा एक साथ आगे बढ़ रही है। स्वदेशी विशेषज्ञता को रणनीतिक वैश्विक सहयोग के साथ एकीकृत करके देश एक ऐसे डिफेंस सेक्टर का मार्ग प्रशस्त कर रहा है, जो न केवल टिकाऊ है बल्कि वैश्विक सिक्योरिटी लैंडस्केप में एक प्रमुख योगदानकर्ता भी है।
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