चीन ने भारत के पड़ोसी मालदीव को भड़काया, जिसकी वजह से माले इन दिनों भारत विरोधी कदम उठा रहा है। मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जु चीन समर्थन हैं और अभी दो दिन पहले की बीजिंग का दौरा पूरा करके लौटे हैं। चीन के मेहमाननवाजी से लौटते ही बीजिंग में रची गई स्क्रिप्ट पर काम भी शुरू कर दिया। मुइज्जु ने जो पहला कदम उठाया वो भारत से ही जुड़ा हुआ है। मुइज्जु ने मालदीव से भारत के सैनिकों को वापस लौटने का फरमान फिर से जारी किया। इस बार मुइज्जु सरकार ने समय सीमा भी शुरू कर दी है। राजधानी माले में मालदीव और भारत की कोर ग्रुप की बैठक हुई। मालदीव से भारतीय सैनिकों को 15 मार्च तक हटने को कहा गया है। मालदीव में करीब 80 भारतीय सैनिक तैनात हैं। पिछले साल सत्ता मिलते ही मुइज्जु ने इन सैनिकों को हटाने के लिए कहा था। अब तो मुइज्जु ने भारतीय सैनिकों को लेकर टाइमफ्रेम भी दे दिया है।
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मुइज्जु की इस बौखलाहट के पीछे एक वजह और भी है। मालदीव की जनता ने उनकी चीन समर्थक और भारत विरोधी नीति को एक तरह से नकार दिया है। मालदीव की जनता ने जनमत के जरिए मुइज्जु को भारत विरोधी रणनीति को बदलने का अल्टीमेटम दिया है। जिसकी बानगी राजधानी माले में हुए मेयर चुनाव में नजर आई। माले मेयर चुनाव में मुइज्जु की पार्टी हार गई। पीएमसी कैंडिडेट अजीमा शकूर बुरी तरह से हारी। एमडीपी के एडम अजीम ने चुनाव जीत लिया है। एडम अजीम को चुनाव में 45 प्रतिशत वोट मिले हैं। जबकि अजीमा शकूर को केवल 27.8 प्रतिशथ मत प्राप्त हुए हैं। मुइज्जु के इस्तीफे के बाद माले में मेयर सीट खाली हुई थी। ऐसे में जाहिर सी बात है कि ये जो जीत है वो मालदीव के दिल में भारत की गवाही देती है। अजीम की मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी भारत समर्थक मानी जाती है।
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भले ही मुइज्जु का भारत विरोधी प्रोपेगेंडा आम चुनाव में काम कर गया। लेकिन दो महीने बाद ही माले की जनता ने मुइज्जु की इंडिया आउट नीति को ही आउट कर दिया है। विदेशी मामलों के जानकारों की माने तो मुइज्जु अब भी न सुधरे तो उनकी सियासी पारी पर भी खतरा मंडरा सकता है। हाल ही में मालदीव की पार्टी द डेमोक्रेट्स के सदस्य अली अजीम ने मांग की है कि राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को सत्ता से हटाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए।