भारत ने इजरायल और ईरान के बीच संतुलन बनाकर दुनिया में ये साबित कर दिया कि वो अपने सभी दोस्तों के साथ खड़ा रहता है। इस बार भारत ने लेबनान को मेडिकल सहायता देने का फैसला किया। ये कदम अपने आप में बड़ी कूटनीतिक सफलता है। मध्य पूर्व में संघर्ष कोई नई बात नहीं है। लेकिन इस बार ये टकराव इजरायल और उसके पड़ोसी देशों के बीच बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। इजरायल और लेबनान के हिजबुल्लाह के बीच के संघर्ष ने एक बड़ा रूप ले लिया है। इसके साथ इजरायल ईरान के खिलाफ भी लंबे समय से अपनी लड़ाई जारी रखे हुए है। लेकिन इन सब के बीच भारत ने संतुलित दृष्टिकोण अपनाया हुआ है। भारत ने न तो किसी पक्ष का समर्थन किया और न ही किसी से दुश्मनी मोल ली है। आपने देखा होगा कि हाल में कई पश्चिमी और यूरोपी देश इजरायल से दूरी बनाते जा रहे हैं। जी7 के सात देशों में केवल अमेरिका ही इजरायल का खुलकर समर्थन कर रहा और हथियारों की सप्लाई कर रहा।
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कई देशों ने इजरायल के खिलाफ सख्त रूख अपनाते हुए हथियारों की सप्लाई पर रोक लगा दी है। आपको फ्रांस का हालिया वाक्या तो याद ही होगा जब राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इजरायल को हथियारों की सप्लाई रोकने की बात कह दी थी। हालांकि इजरायल के सख्त रवैये के बाद फ्रांस के तेवर थोड़ नरम जरूर पड़ गए थे। भारत ने अपनी कूटनीति का परिचय देते हुए इजरायल और ईरान दोनों के साथ अपने संबंधों को संतुलित रखा है। इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष में लेबनान के कई लोग घायल हुए। इस स्थिति को देखते हुए भारत ने लेबनान के लिए मेडिकल किट और अन्य मेडिकल उपकरण भेजना का फैसला किया। ये फैसला उसकी फ्रेंडशिप फर्स्ट नीति को दिखाता है जहां वो अपने दोस्त देशों की मदद करने से कभी पीछे नहीं हटता। लेबनान में भारत के इस कदम की तारीफ की जा रही है।
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लेबनान के राजदूत ने भारत का आभार भी व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि ये मेडिकल सहायता न केवल एक मानवता वादी कदम है बल्कि ये दिखाता है कि भारत अपने दोस्तों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहता है। आपको याद होगा ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनई ने कहा है कि भारत में मुसलमानो का उत्पीड़न हो रहा है। उन्होने सोशल मीडिया एक्स पर यह बात कही और दुनियाभर के मुसलमानों के बीच एकजुटता की जरूरत बताई। लेकिन इसके बावजूद भारत ने अपनी प्रतिक्रिया में बेहद सधा हुआ बयान दिया।