Breaking News

India का अर्टेमिस संधि में शामिल होना अंतरिक्ष क्षेत्र में एक बड़ा कदम : प्रधानमंत्री मोदी

वाशिंगटन। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत ने अर्टेमिस संधि में शामिल होकर अंतरिक्ष सहयोग में ‘‘एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है।’’
उल्लेखनीय है कि 1967 की बाह्य अंतरिक्ष संधि पर आधारित अर्टेमिस संधि असैन्य अंतरिक्ष अन्वेषण और 21वीं सदी में इसके इस्तेमाल को दिशानिर्देशित करने के लिए तैयार किये गये गैर-बाध्यकारी सिद्धांतों का एक ‘सेट’ है। यह 2025 तक चंद्रमा पर मानव को फिर से भेजने का अमेरिका नीत प्रयास है, जिसका लक्ष्य मंगल और अन्य ग्रहों तक अंतरिक्ष अन्वेषण करना है।
भारत ने बृहस्पतिवार को अर्टेमिस समझौते में शामिल होने का फैसला किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ व्हाइट हाउस में एक संववाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से कहा, ‘‘अर्टेमिस समझौते में शामिल होने का फैसला करके, हमने अपने अंतरिक्ष सहयोग में एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है।

इसे भी पढ़ें: प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा भारत और अमेरिका के संबंधों को उच्च स्तर पर लेकर जाएगी: कमला हैरिस

वास्तव में अब साझेदारी के लिए भारत और अमेरिका के सामने असीमित आसमान है।’’
व्हाइट हाउस ने एक बयान में बताया कि भारत ने अर्टेमिस संधि पर हस्ताक्षर किए हैं जो समस्त मानवजाति के लाभ के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण का साझा दृष्टिकोण उपलब्ध कराती है।
भारत शांतिपूर्ण, सतत और पारदर्शी सहयोग के लिए 26 अन्य देशों की फेहरिस्त में शामिल हो गया जिससे वह चंद्रमा, मंगल और अन्य ग्रहों का अन्वेषण कर सकेगा।
व्हाइट हाउस में बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान के अनुसार, बाइडन और मोदी ने अंतरिक्ष सहयोग के सभी क्षेत्रों में नयी सीमाओं तक पहुंचने की रूपरेखा तय की।
इसमें कहा गया है, ‘‘नेताओं ने पृथ्वी तथा अंतरिक्ष विज्ञान और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों में हमारे बढ़ते सहयोग की सराहना की।

उन्होंने 2023 के अंत तक मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान क्षेत्र में सहयोग के लिए एक रणनीतिक रूपरेखा विकसित करने के नासा और इसरो के फैसले का स्वागत किया।’’
दोनों नेताओं ने नासा की 2024 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र में भारतीय अंतरिक्ष यात्री को भेजने के संयुक्त प्रयास के लिए टेक्सास के ह्यूस्टन में जॉनसन अंतरिक्ष केंद्र में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को आधुनिक प्रशिक्षण उपलब्ध कराने की घोषणा की भी प्रशंसा की।
उन्होंने बेंगलुरु में इसरो के यू आर राव उपग्रह केंद्र को नासा-इसरो का सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) उपग्रह देने की भी प्रशंसा की और भारत से 2024 में निसार के प्रक्षेपण को लेकर उत्साह जताया।
बयान में कहा गया है कि नासा और इसरो इस साल के अंत तक मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान के लिए एक रणनीतिक ‘फ्रेमवर्क’ भी तैयार कर रहे हैं।

Loading

Back
Messenger