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India-Maldives relations: वापस पटरी पर लौटे संबंध, रक्षा के क्षेत्र में मदद का भरोसा, समुद्री सुरक्षा के लिए मिलकर काम करेंगे दोनों देश

भारत और मालदीव के बीच संबंधों में खटास आने के महीनों बाद, नई दिल्ली ने द्वीप राष्ट्र को अपनी रक्षा तैयारियों को बढ़ाने में समर्थन देने की अपनी तत्परता से अवगत कराया। यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने समुद्री सुरक्षा सहयोग पर केंद्रित व्यापक वार्ता के लिए अपने मालदीव समकक्ष मोहम्मद घासन मौमून की मेजबानी की है। मौमून भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। अपनी बैठक के दौरान, दोनों रक्षा मंत्रियों ने भारत और मालदीव के बीच व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी के साझा दृष्टिकोण को साकार करने के लिए निकट सहयोग करने की अपनी मजबूत प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

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भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मुझे अक्टूबर 2024 में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की भारत की राजकीय यात्रा के दौरान आपके साथ हमारी संक्षिप्त मुलाकात याद आती है। मालदीव के राष्ट्रपति की यात्रा ने हमारे द्विपक्षीय संबंधों को एक नई दिशा प्रदान की है और यात्रा के दौरान जारी संयुक्त दृष्टि दस्तावेज इस प्रकार कार्य करता है। मौमून की भारत यात्रा चीन समर्थक राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की मांग के बाद नई दिल्ली द्वारा मालदीव से अपने सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने के लगभग आठ महीने बाद हो रही है। महीनों तक चले इस प्रकरण ने दोनों देशों के बीच संबंधों को काफी खराब कर दिया था। बैठक के दौरान दोनों मंत्रियों ने द्विपक्षीय रक्षा और सुरक्षा सहयोग के विभिन्न पहलुओं की भी समीक्षा की।

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बातचीत के दौरान दोनों पक्षों ने भारत-मालदीव व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी के संयुक्त दृष्टिकोण को साकार करने के लिए मिलकर काम करने की दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई।’’ बयान के मुताबिक, सिंह ने कहा कि मालदीव को रक्षा तैयारियों के लिए क्षमता वृद्धि में सहयोग देने के लिए भारत तैयार है। इसमें मालदीव की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुसार और भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति एवं ‘सागर’ दृष्टिकोण के अनुरूप उसकी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए रक्षा प्लेटफॉर्म और परिसंपत्तियों का प्रावधान शामिल है। ‘सागर’ दृष्टिकोण का आशय क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास से है।

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