जयशंकर तीन देशों के अपने दौरे के दूसरे चरण के तहत फिलीपीन में हैं। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने 26 मार्च को फिलीपींस के विदेश सचिव एनरिक मनालो के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र को अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता को बनाए रखने का अधिकार है। फिलीपीन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि भारत की एक लंबी और प्रतिष्ठित समुद्री परंपरा है, जिसकी सभ्यतागत छाप अब भी इस क्षेत्र में दिखाई देती है। उन्होंने यहां के बंदरगाह में भारतीय तटरक्षक पोत के ठहरने की सराहना की, जो मनीला के साथ द्विपक्षीय संबंधों में और अधिक घनिष्ठता को दर्शाता है। उन्होंने यह टिप्पणी मनीला के बंदरगाह में ठहरे भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) बल के पोत ‘समुद्र पहरेदार’ पर पहुंचने पर की।
प्रत्येक राष्ट्र को अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता बनाए रखने का अधिकार है: भारत-फिलीपींस संबंधों पर एस जयशंकर
विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर देश के रुख को सार्वजनिक रूप से रखते हुए मंगलवार को कहा कि भारत अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता को बनाए रखने में फिलीपीन का दृढ़ता से समर्थन करता है। उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय की है जब फिलीपीन और चीन वर्तमान में संसाधनों से समृद्ध इस क्षेत्र को लेकर सीमा विवाद में उलझे हुए हैं। जयशंकर ने मनीला में फिलीपीन के विदेश मंत्री एनरिक मनालो के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में ये टिप्पणियां कीं। जयशंकर ने संभवत: पहली बार दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर भारत के रुख का संकेत देते हुए कहा, ‘‘मैं इस अवसर पर फिलीपीन की राष्ट्रीय संप्रभुता को बनाए रखने के लिए भारत के समर्थन को मजबूती से दोहराता हूं।’’ जयशंकर की टिप्पणी अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन द्वारा फिलीपीन की रक्षा के लिए अमेरिका की ‘‘दृढ़ प्रतिबद्धता’’ को दोहराने के लगभग एक हफ्ते बाद आई है।
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भारत और फिलीपीन की बढ़ रही दोस्ती
दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ तनाव से व्यापक क्षेत्रीय संघर्ष की आशंका बढ़ गई है। चीनी तट रक्षक और समुद्री मिलिशिया इकाइयों ने हाल के हफ्तों में जलमार्ग में विवादित विशेषाधिकार को लेकर फिलीपीन के जहाजों को निशाना बनाया है। दो सप्ताह पहले हुए हालिया टकराव में, एक चीनी तट रक्षक जहाज ने एक फिलीपीनी नाव पर पानी की बौछार का इस्तेमाल किया, जिससे उसके शीशे टूट गये और फिलीपीन के चार नाविक घायल हो गए। जयशंकर ने अपने प्रेस वक्तव्य में कहा, ‘‘एक राष्ट्र के रूप में अपनी एक्ट ईस्ट नीति और हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण के कारण इस क्षेत्र में गहराई से निवेश किया गया है, भारत सभी घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहा है।’’ उन्होंने चीन का स्पष्ट तौर पर संदर्भ देते हुए कहा, ‘‘हम आसियान की केंद्रीयता, एकजुटता और एकता के पुरजोर समर्थक हैं। हम यह भी मानते हैं कि इस क्षेत्र की प्रगति और समृद्धि नियम-आधारित व्यवस्था की कड़ाई सेपालन करने से ही संभव है। यूएनसीएलओएस 1982 इस संबंध में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका संविधान समुद्र के लिए है। सभी पक्षों को इसका पूरी तरह से पालन करना चाहिए, अक्षरश: और भावना दोनों संदर्भ में।’’ हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण द्वारा 2016 के खिलाफ में फैसला दिए जाने के बावजूद चीन संसाधन संपन्न दक्षिण चीन सागर के लगभग सभी 13 लाख वर्ग मील पर ‘निर्विवाद संप्रभुता’ का दावा करता है।
दक्षिण चीन सागर को लेकर भड़का चीन
बीजिंग में, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘समुद्री विवाद संबंधित देशों के बीच के मुद्दे हैं। तीसरे पक्ष को किसी भी तरह से हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।’’ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने जयशंकर की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘हम संबंधित पक्षों से दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर तथ्यों और सच्चाई का दृढ़ता से सामना करने और चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता और समुद्री अधिकारों और हितों तथा दक्षिण चीन सागर को शांतिपूर्ण और स्थिर रखने के क्षेत्र के देशों के प्रयासों का सम्मान करने का आग्रह करते हैं।’’
भारत और फिलीपीन के बीच सहयोग
विदेश मामलों के सचिव मनालो ने कहा कि फिलीपींन और भारत समुद्री सहयोग में तेजी लाने और जल्द ही एक उद्घाटन वार्ता आयोजित करने पर सहमत हुए हैं, जिसमें समुद्री पर्यावरण संरक्षण से लेकर सुरक्षा तक में संभावित साझेदारी पर चर्चा होगी। ट्रैक 1 या सरकार-से-सरकार स्तर पर समुद्री वार्ता की औपचारिक घोषणा जयशंकर के साथ द्विपक्षीय बैठक के बाद मनालो ने की। फिलीपीन समाचार एजेंसी ने मनालो के हवाले से कहा, ‘‘हमारा सहयोग इस अर्थ में बढ़ रहा है कि हम न केवल प्रशिक्षण और संयुक्त समिति की बैठकों जैसी नई गतिविधियों को आगे बढ़ा रहे हैं, बल्कि अन्य तरीकों की भी खोज कर रहे हैं जहां हम अपने दोनों देशों की सुरक्षा में योगदान दे सकते हैं और यह भी सुनिश्चित कर सकते हैं कि भारत- प्रशांत क्षेत्र खुला और शांतिपूर्ण बना रहे और यह शांति और विकास का क्षेत्र रहे।’’ अभी तक कोई विशिष्ट समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है, लेकिन मनालो ने कहा कि उद्घाटन संवाद मनीला में होगा। जयशंकर ने टेओडोरो के साथ अपनी बैठक के बारे में पोस्ट किया, ‘‘हमारी रक्षा साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा हुई, जो हमारे साझा हितों और हिंद-प्रशांत में कई अभिसरणों को दर्शाती है। क्षमताओं को बढ़ाने, आदान-प्रदान को तेज करने और निकट संपर्कों को बढ़ाने के लिए तत्पर हैं।’’ इससे पहलेउन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में मनालो से मुलाकात के बारे में कहा, ‘‘फिलीपीन के मंत्री मनालो के साथ सार्थक मुलाकात हुई। राजनीति, रक्षा, सुरक्षा व समुद्री सहयोग, व्यापार व निवेश, बुनियादी ढांचा, विकास सहयोग, शिक्षा, डिजिटल, प्रौद्योगिकी, संस्कृति तथा दूतावास संबंधी क्षेत्रों में संबंध मजबूत बनाने पर व्यापक चर्चा हुई।’’ उन्होंने हिंद-प्रशांत, दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान), पश्चिम एशिया, यूक्रेन, गुट निरपेक्ष आंदोलन तथा संयुक्त राष्ट्र समेत वैश्विक, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर विचार साझा किए।
भारत ने किया फिलीपीन का समर्थन, तिलमिला उठा चीन
चीन ने मंगलवार को भारत से विवादित दक्षिण चीन सागर पर उसके संप्रभुता के दावों और समुद्री हितों का सम्मान करने का आग्रह किया और कहा कि तीसरे पक्ष को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। दक्षिण चीन सागर में चीन और फिलीपीन के बीच वर्तमान में विवाद है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने यह बात यहां एक प्रेस वार्ता में विदेश मंत्री एस जयशंकर की एक टिप्पणी पर एक सवाल का जवाब देते हुए कही। जयशंकर ने कहा था कि भारत फिलीपीन की संप्रभुता का समर्थन करता है। लिन ने कहा, ‘‘समुद्री विवाद संबंधित देशों के बीच के मुद्दे हैं। तीसरे पक्ष को किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम संबंधित पक्षों से दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर तथ्यों और सच्चाई का सीधे तौर पर सामना करने और चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता और समुद्री अधिकारों एवं हितों तथा दक्षिण चीन सागर को शांतिपूर्ण एवं स्थिर रखने के क्षेत्रीय देशों के प्रयासों का सम्मान करने का आग्रह करते हैं।’’ जयशंकर इस समय एक आधिकारिक यात्रा पर मनीला में हैं और इस दौरान उन्होंने फिलीपीन के विदेश मंत्री एनरिक मनालो से बातचीत की। इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ फिलीपीन के विवाद के बीच कहा था कि अपनी राष्ट्रीय संप्रभुत्ता को बनाए रखने में दक्षिणपूर्व एशियाई देश का भारत दृढ़ता से समर्थन करता है और वह रक्षा एवं सुरक्षा समेत सहयोग के नए क्षेत्रों में संभावनाएं तलाशना चाहता है।