भारत और रूस ने सुदूर पूर्वी रूसी बंदरगाह व्लादिवोस्तोक में भारतीय नाविकों को ध्रुवीय और आर्कटिक जल क्षेत्र के लिए प्रशिक्षित करने पर बुधवार को सहमति व्यक्त की।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार दोनों पक्षों ने उत्तरी समुद्री मार्ग के साथ-साथ पूर्वी समुद्री मार्ग जैसे नये परिवहन गलियारों के इस्तेमाल की संभावना सहित समुद्री सहयोग को व्यापक बनाने के तरीकों पर भी चर्चा की।
बयान के अनुसार यहां दौरे पर आए केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और सुदूर पूर्व एवं आर्कटिक के विकास के लिए रूसी संघ के मंत्री ए. ओ. चेकुनकोव के बीच समुद्री सहयोग पर चर्चा हुई।
इसके अनुसार दोनों नेताओं ने समुद्री सहयोग को व्यापक बनाने के लिए भारत और रूस के बीच समुद्री संचार से जुड़े विभिन्न विषयों पर चर्चा की, जिनमें उत्तरी समुद्री मार्ग (एनएसआर) के साथ-साथ व्लादिवोस्तोक और चेन्नई के बीच पूर्वी समुद्री गलियारे (ईएमसी) जैसे नये परिवहन गलियारों के इस्तेमाल की संभावना भी शामिल है।
बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष व्लादिवोस्तोक में जीआई एडमिरल नेवेल्स्की के नाम पर स्थापित रूसी समुद्री प्रशिक्षण संस्थान में भारतीय नाविकों को प्रशिक्षित करने पर भी सहमत हुए।
इस मौके पर सोनोवाल ने कहा कि रूस और भारत के बीच संबंधों की गहरी ऐतिहासिक जड़ें हैं और यह आपसी सम्मान और साझा हितों पर आधारित है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम मजबूत संबंध बनाए रखने और विभिन्न क्षेत्रों में रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’
रूसी मंत्री चेकुनकोव ने कहा कि दोनों पक्षों ने समुद्री संचार के विकास के साथ-साथ उत्तरी समुद्री मार्ग के इस्तेमाल की संभावनाओं पर भी चर्चा की।