शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के अध्यक्ष के रूप में भारत ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी और पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल को संगठन के विदेश मंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों की बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। पाकिस्तान ने अभी तक भारत के आमंत्रण का जवाब नहीं दिया है। निमंत्रण ऐसे समय में दिया गया है जब पड़ोसियों के बीच द्विपक्षीय संबंध सर्वकालिक निम्न स्तर पर हैं। भारत की तरफ से ये निमंत्रण इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के माध्यम से भेजा गया है।
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भारत ने पिछले सितंबर में नौ सदस्यीय समूह की अध्यक्षता संभाली थी और मई के पहले सप्ताह में गोवा में प्रमुख मंत्रिस्तरीय बैठकों और शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। अगर भुट्टो निमंत्रण स्वीकार करते हैं, तो यह एक दशक में इस तरह की पहली यात्रा होगी। हिना रब्बानी खार 2011 में भारत का दौरा करने वाली आखिरी पाकिस्तानी विदेश मंत्री थीं।
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग कर रहे पाकिस्तान और इस्लामाबाद की ओर से सीमा पार आतंकवाद के अनसुलझे मुद्दों के बीच दोनों देशों के बीच संबंध कई वर्षों से अनिश्चित हैं। इसके अलावा, पीएम मोदी के बारे में पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र में बिलावल भुट्टो की टिप्पणी से राष्ट्रों के बीच संबंधों को सुधारने में मदद नहीं मिलेगी।
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एससीओ में चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान भी शामिल हैं। अन्य मध्य एशियाई देशों के साथ चीन और रूस के विदेश मंत्रियों को भी निमंत्रण भेजा गया है। ईरान संगठन का सबसे नया सदस्य है और भारत की अध्यक्षता में, पहली बार पूर्ण सदस्य के रूप में समूह की बैठक में भाग लेगा। इसकी आखिरी बैठक उज्बेकिस्तान के समरकंद में हुई थी।