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जेलेंस्की ने मोदी-पुतिन मुलाकात पर निकाली भड़ास तो क्या भारत ने यूक्रेनी राजदूत को समन कर बुलाया? जानें क्या है इसके पीछे की सच्चाई

यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद पीएम मोदी की यह पहली रूस यात्रा थी। पीएम मोदी की रूस यात्रा से पश्चिमी देश खुश जर नहीं आए। वहीं यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने इसकी आलोचना करते हुए एक्स पर एक लंबा पोस्ट लिख दिया था। जिसके बाद से यूक्रेन और भारत के संबंधों को लेकर कई तरह के दावे किए जाने लगे। वहीं एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि इस घटना के बाद भारत में यूक्रेन के राजदूत को समन भेजा गया है। हालांकि प्रभासाक्षी को सूत्रों से हवाले से पता चला है कि इस तरह की कोई भी बात नहीं हुई है। विदेश मंत्रालय की तरफ से सूत्रों के हवालों से यूक्रेनी राजदूत को समन भेजे जाने की  बात का खंडन किया है।

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इकोनॉमिक टाइम्स अखबार ने 16 जुलाई की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सप्ताह भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच एक बैठक की राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की की आलोचना पर भारत ने एक यूक्रेनी दूत को तलब किया। 8 जुलाई को एक घातक रूसी हमले के एक दिन बाद बोलते हुए ज़ेलेंस्की ने मोदी की रूस यात्रा और रूसी नेता के साथ उनके गले लगने को निराशाजनक बताते हुए शांति प्रयासों के लिए एक विनाशकारी झटका करार दिया था। इकोनॉमिक टाइम्स ने जानकारी के स्रोत का खुलासा किए बिना अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे को उठाने के लिए 15 जुलाई को यूक्रेनी राजदूत को तलब किया। 

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मीडिया रिपोर्ट में यहां तक दावा किया गया कि भारत ने यूक्रेन के साथ संस्कृति पर संयुक्त कार्य समूह की बैठक भी स्थगित कर दी है। मोदी पुतिन के साथ बातचीत के लिए 8 जुलाई को मॉस्को पहुंचे, जो पूर्ण पैमाने पर आक्रमण की शुरुआत के बाद से देश की उनकी पहली यात्रा थी। नई दिल्ली यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध के कूटनीतिक समाधान का आह्वान कर रही है, लेकिन साथ ही मास्को के साथ घनिष्ठ आर्थिक संबंधों को बढ़ावा दे रही है। पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद भारत रूसी तेल के मुख्य खरीदारों में से एक बन गया, हालांकि अमेरिकी प्रतिबंधों के दबाव से इस व्यापार पर खतरा बढ़ रहा है।

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