लंदन। उत्तरी इंगलैंड के एक अस्पताल में कार्यरत भारतीय मूल का एक बाल चिकित्सक उन लोगों में शामिल है जिनकी मदद से ब्रिटिश अदालत ने शुक्रवार को एक नर्स को सात शिशुओं की हत्या का दोषी ठहराया।
चेस्टर के ‘काउंटेस ऑफ चेस्टर’ अस्पताल के चिकित्सक रवि जयराम ने कहा कि इस पूर्व नर्स के बारे में यदि उनकी चिंताओं पर ध्यान दिया गया होता और पुलिस को खबर दी गयी होती तो कुछ शिशुओं की जान बचायी जा सकती थी।
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मैनचेस्टर क्राउन अदालत में जूरी ने नर्स लूसी लेटबी (33) को शुक्रवार को सात नवजात शिशुओं की हत्या करने और छह अन्य शिशुओं की हत्या की कोशिश करने का दोषी पाया। उसे सोमवार को इसी अदालत में सजा सुनायी जाएगी।
जयराम ने फैसले के बाद ‘आईटीवी न्यूज’ से कहा, ‘‘ मैं वाकई मानता हूं कि चार या पांच बच्चे , जो आज स्कूल जा रहे होते, (इस दुनिया में) नहीं हैं।’’
उन्होंने कहा कि जून, 2015 में तीन शिशुओं की मौत के बाद पहली बार चिकित्सक चिंता प्रकट करने लगे तथा जब और बच्चों की मौत हो गयी तब उनके जैसे कुछ वरिष्ठ चिकित्सकों ने लेटबी के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करने के लिए अस्पताल के वरिष्ठ कार्यकारियों के साथ कई बैठकें की।
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आखिरकार, अप्रैल, 2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा न्यास (नेशनल हेल्थ सर्विस ट्रस्ट) ने चिकित्सकों को एक पुलिस अधिकारी से मिलने की अनुमति दे दी।
डॉ. जयराम ने कहा, ‘‘10 मिनट से भी कम समय तक हमारी बातें सुनने के बाद पुलिस को अहसास हुआ कि यह कुछ ऐसी बात है कि जिसमें उसे भी उतरना चाहिए। ..’’
इसके बाद जांच शुरू हुई और लेटबी की गिरफ्तारी हुई।
ब्रिटेन की क्राउन प्रोस्यूक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने बताया कि 2015 और 2016 के बीच अस्पताल के नवजात वार्ड में कुल 13 शिशुओं पर गुपचुप तरीके से हमला करने के लिए लेटबी ने कई तरीके अपनाए।
सीपीएस के अनुसार लूसी लेटबी (33) ने रक्त प्रवाह में हवा पहुंचाने, ‘नैसोगैस्ट्रिक ट्यूब’ के माध्यम से उनके पेट में हवा और दूध पहुंचाने समेत विभिन्न तरीकों से इन नवजात शिशुओं को जान-बूझकर नुकसान पहुंचाया।
सीपीएस का कहना है कि लेटबी का मकसद शिशुओं की जान लेना होता था, लेकिन वह अपने सहकर्मियों को यह विश्वास दिलाती थी कि मौतें प्राकृतिक रूप से हुई हैं।