कनाडाई सांसद चंद्र आर्य ने 3 नवंबर को ब्रैम्पटन के हिंदू सभा मंदिर में हिंदू भक्तों पर खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा किए गए हालिया हमले की निंदा की है। उन्होंने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के प्रशासन की भी आलोचना करते हुए सुझाव दिया कि इसने हिंदू और सिख समुदायों के बीच बढ़ते विभाजन में योगदान दिया है। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि हिंदू-कनाडाई और अधिकांश सिख-कनाडाई लोगों की ओर से, मैं ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर में हिंदू भक्तों पर खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा किए गए हमले की फिर से कड़ी निंदा करता हूं।
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राजनेता जानबूझकर इस हमले के लिए खालिस्तानियों को जिम्मेदार मानने और उनका उल्लेख करने से बच रहे हैं या दोष अन्य संस्थाओं पर मढ़ रहे हैं। वे इसे हिंदुओं और सिखों के बीच का मुद्दा बनाकर कनाडाई लोगों को गुमराह कर रहे हैं। ये सच नहीं है। पूरे इतिहास में, हिंदू और सिख पारिवारिक रिश्तों और साझा सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों के माध्यम से जुड़े रहे हैं। हिंदुओं को सिख गुरुद्वारों और सिखों को हिंदू मंदिरों में जाते देखना आम बात है। राजनेता हिंदुओं और सिखों को विभाजित करने की पूरी कोशिश कर सकते हैं। हम उन्हें ग़लत साबित कर सकते हैं—और करना ही चाहिए।
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उन्होंने कहा कि हिंदू और सिख पूरे इतिहास में एकजुट रहे हैं, आज भी एकजुट हैं और भविष्य में भी एकजुट रहेंगे। हम, हिंदू और सिख के रूप में, निहित स्वार्थों को अपने राजनीतिक लाभ के लिए हमें विभाजित करने की अनुमति नहीं देंगे और न ही देनी चाहिए। खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा मंदिर पर हमले को लेकर राजनेता हिंदुओं और सिखों को विरोधी पक्ष के रूप में चित्रित कर रहे हैं।